हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

रविवार, 5 सितंबर 2010

मँगनी के आदर्श

सागर कितना भी गहरा हो , हलचल उसमे भी होती है ।
पर्वत कितना भी स्थिर हो , कम्पन उसमे भी होती है ।
धरती कितनी ही भारी हो , अस्थिर वो भी होती है ।
मन कितना ही चंचल हो , जड़ता उसमें भी होती है ।

सागर में हलचल हो तो , लहरें मतवाली होती है ।
पर्वत में कम्पन हो तो , धरती हिलने लगती है ।
धरती अस्थिर होती जब , महा-प्रलय तब होती है ।
मन में जड़ता आती जब , दिल में कटुता भरती है ।

फिर भी तुम ये कहते हो , सागर सा मै गहरा बनूँ ।
पर्वत की ऊँचाई पाकर , धरती सा स्थिर मै रहूँ ।
मन की चंचलता को पाकर , जड़ता अपनी दूर करू ।
औरों के मँगनी आदर्शों से , अपने को परिपूर्ण करू ।

अस्थिर हुआ अगर मेरा मन , फिर सीमाओं का ध्यान कहाँ ?
सीमाओं का अतिक्रमण हुआ , फिर मर्यादाओं का ध्यान कहाँ ?
चंचलता आएगी जब मन में , फिर अपनो का ज्ञान कहाँ ?
कम्पित हुआ अगर तन-मन , रुक पाने का अधिकार कहाँ ?

सोँच कर देखो तुम एक पल, क्या होगा इसका परिणाम कभी ।
जब मुझमे हलचल होगी , क्या थम पायेगा मेरा ज्वार कभी ।
तो जो भी हूँ मै जैसा हूँ , तुम करो उसे स्वीकार यहाँ ।
मँगनी के आदर्शों का , किसी व्यक्तित्व में है स्थान कहाँ ।

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

कोई टिप्पणी नहीं:

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


क्रिएटिव कामन लाइसेंस
अनंत अपार असीम आकाश by विवेक मिश्र 'अनंत' is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 3.0 Unported License.
Based on a work at vivekmishra001.blogspot.com.
Permissions beyond the scope of this license may be available at http://vivekmishra001.blogspot.com.
Protected by Copyscape Duplicate Content Finder
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...