हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

ब्लागाचार

स्वागतम
            प्रिय विजिटर जम्बू दीप/आर्यावर्त/देवभूमि/भारतवर्ष/भारत/हिंदुस्तान/हिंद/इण्डिया अथवा इस भू-मंडल के किसी भी कोने में स्थित जिस किसी भी देश के आप निवासी हों मेरे ब्लाग अनंत अपार असीम आकाश यू.आर.एल  http://vivekmishra001.blogspot.com/   पर आयोजित ब्लागाचार के अवसर पर मै आप का हार्दिक स्वागत करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँ, महिमामंडन करता हूँ।

आप के चरण मेरे ब्लाग पर क्या पड़े,क्षमा कीजियेगा ये तो हों नहीं सकता है क्योकि उस स्थिति में आपके डेस्कटॉप के मानीटर अथवा लैपटाप की जीवनलीला समाप्त  हों जाएगी, तो यूँ कहें कि आपके माउस और की-बोर्ड की सहायता से आपकी नजर मेरे ब्लाग पर क्या पड़ी,मेरा ब्लाग धन्य हों गया।

और चूँकि यह मेरा ब्लाग है तो मारे ख़ुशी के "वो आये मेरे ब्लाग पर, कभी मै अपने ब्लाग को तो कभी मेरे लाइव ब्लाग विजिटर फीडर  में दर्ज हुए उनके आने के संकेत को देखता हूँ" (लाइव ब्लाग विजिटर फीडर यह देखने के लिए ही लगाया है कि देखे मशीनी सर्च इंजन के पर मारने के अलावां क्या कोई इन्सान भी मेरे ब्लाग पर आता जाता है या नहीं), साथ ही सोंचता हूँ कि वो क्या हसीन पल रहे होंगे जब आपने मेरे ब्लाग पर आने का फैसला किया होगा (यहों स्पष्ट कर दूँ की ये मै अपने पल के सन्दर्भ में  बात कर रहा हूँ, आप के वो पल हसीन थे अथवा नहीं ये मै कैसे जान सकता हूँ हुजूर) । 

वैसे आप सोंच सकते है कि मै इतना ज्यादा नम्र होकर आपका स्वागत सत्कार क्यों कर रहा हूँ (और आपको ऐसा कुछ भी सोंचने का अधिकार भी है क्योंकि आज लगभग सभी देश आजाद है और उसके नागरिक स्वतंत्र)।
तो जनाब यह जान लें कि एक तो यह मेरे देश जम्बू दीप/आर्यावर्त/देवभूमि/भारतवर्ष/भारत/हिंदुस्तान/इण्डिया की परम्परा है कि द्वार पर आये हुए का चाहे वो आपका शत्रु  ही क्यों ना हों,का पहले स्वागत-सत्कार किया जाना चाहिए फिर आगे पात्रता के अनुरूप कोई कार्यक्रम ।
फिर ऊपर से जैसे "करेला और नीम चढ़ा" (हालाँकि शायद यह गलत जगह पर कहा गया सही मुहावरा अथवा सही जगह पर कहा गया गलत मुहावरा है जो भी समझें),के अनुरूप  मै जम्बू दीप के उत्तम प्रदेश में स्थित लखनपुर जिसे आजकल लखनऊ कहते है का रहने वाला हूँ और हमारे यहाँ तो गाली भी मान-सम्मान के साथ "आप" शब्द लगाकर दिया जाता है (जैसे "आपकी ...... का ........", "आप ....... है", आदि)।
और यहाँ तो मै आपका स्वागत कर रहा हूँ। हाँ अगर स्वागत में कुछ लखनउवा अंदाज कम दिखे तो  फिर क्षमा कीजियेगा मै पिछले  १०-१२ सालों से रोजी रोटी के चक्कर में उन इलाकों में घूमता रहा हूँ जहां के लिए कहा जाता है कि "यहां की साकी को भी मुह लगा लो तो जबान बिगड़ जाती है) ।     

और हाँ कहीं ऊपर का पैरा पढ़ कर आप ने यह तो नहीं समझ लिया कि मैंने आपको शत्रुओं की श्रेणी में रखा दिया है...या मै आपको लखनवी अंदाज में गाली दे रहा हूँ.......!

तो जनाब पहले मै यह स्पष्ट कर दूँ की जब तक आप प्रकट्य रूप से जाने-अनजाने में मेरा किसी प्रकार का कोई अहित नहीं करते है तब तक मै आपको अपना शुभकांछी/ मित्र/हितैषी/सहयात्री  ही समझूंगा और आप की सज्जनता के आगे मै कदापि अपनी दुर्जनता प्रगट नहीं होने दूंगा और यही मेरा सजग और सहज स्वभाव भी है।  

और अब बात ब्लागाचार की जिसके बारे में आप सोंच रहे होंगे कि यह क्या बला है तो इसके बारे में जान ले की जैसे पहले घर के द्वार पर आने वालों विशिष्टगण के स्वागत में द्वारचार होता था (यह पुरानी बात है,पहले यह अवसर सभी को मिलता था आजकल तो केवल बारातियों को ही मिलता है और फ़िलहाल यहाँ शादी विवाह जैसा कोई कार्यक्रम नहीं है तो मै आपको विशिष्टगण ही मन रहा हूँ), मैने अपने ब्लाग पर आने वालों के स्वागत,अभिनंदन के लिए ब्लागाचार पृष्ट का मान्त्रिक आवाहन किया है।

और अब तीसरी बात स्पष्ट कर दूँ की मेरे ब्लाग पर आपको देवनागरी लिपि में लिखे हुए  पृष्ट दिखाई देंगे मगर इससे आप किसी प्रकार का यह भ्रम ना पालिएगा कि मै हिंदी का कोई बहुत बड़ा ज्ञाता हूँ ना ज्ञाता बनने  की कोशिश  है, ना इसके लिए रोजी रोटी के चक्कर में समय ही है।
आपको बता दूँ की मैंने हिंदी की सजग रूप से पढ़ाई मात्र  माध्यमिक स्तर तक ही की थी और उसे भी बहुत साल हों गए हालाँकि मै हिंदी साहित्य पड़ता रहता हूँ मगर उस समय मेरी आधी सजगता कहीं और ही होती है।
दूसरे आजकल हिन्गलिस का जमाना है तो आदत ख़राब हों गयी है।
तीसरे जैसा की आप को ऊपर बता चूका हूँ कि मै लखनऊ का हूँ तो लखनवी तहजीब के उर्दू के शब्द भी मेरे जबान पर घुले-मिले हैं ।
और सबसे बड़ी चौथी बात, रोमन से देवनागरी में परिवर्तन कि व्यवस्था, जरा सा ध्यान हटा कि ना जाने क्या से क्या शब्द और मात्रा हों जाये ,फिर या तो पुराना ही खोज खोज कर सुधार करते रहिये या कुछ नया कीजिये। 

तो आपसे अनुरोध है की ....

शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे उसे भूल समझकर ही कहकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना

                 तो जनाब अब यहाँ इस पृष्ट पर मै अपनी लेखनी को विश्राम दे रहा हूँ और किसी अन्य पृष्ट पर आपके लिए कुछ नया  करने का प्रयास करता हूँ तब तक जिसकी रचना हों चुकी है उसका आप आनंद लीजिये और आपने क्या महसूस किया अथवा अगर आपका महसूस तन्त्र यहाँ आने के बाद ख़राब हों गया तो भी उसके बारे में कमेन्ट बाक्स में अपना अमूल्य विचार अवश्य दीजियेगा ।

इन्ही शब्दों के साथ
नमस्कार









विवेक मिश्र "अनंत"

और सबसे अंत में एक जरुरी सूचना :-

१. इस ब्लॉग में लिखी गयी वे समस्त कविताये एवं आलेख जिस पर किसी अन्य लेखक के नाम का जिक्र नहीं है मेरा द्वारा लिखी जाने वाली मेरी डायरी के अंश है जिसे मै यहाँ पुन: लिख रहा हूँ एवं इस पर मेरा अर्थात विवेक मिश्र का मूल अधिकार है एवं इनके कहीं भी किसी भी रूप में प्रकाशन का सर्वाधिकार पूर्णतया मेरे पास है।
२. मेरी पूर्व अनुमति के बिना मेरी किसी कविता, लेख अथवा उसके किसी अंश का कहीं और प्रकाशन कांपीराइट एक्ट के तहत उलंघन माना जायेगा एवं गैर क़ानूनी होगा।
३. हाँ इस ब्लॉग अथवा मेरी किसी रचना को लिंक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है परन्तु उसके साथ मेरे नाम का जिक्र आवश्यक होगा।
४. इस ब्लाग पर कभी कभी अन्य रचनाकार की रचना भी लगायी जा सकती है परन्तु वो हमेशा उनके नाम के साथ होगी।

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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