तैर पाओ अगर विपरीत , तो कोई बात है यारों ।
बनाना नित नये रिश्ते , बहुत आसान है यारों ।
निभा पाओ कठिन क्षण में , तो कोई बात है यारों ।
बादलों की घटा बनना , बहुत आसान है यारों ।
बरस पाओ अगर मरू में , तो कोई बात है यारों ।
सिखाना औरों को बातें , बहुत आसान है यारों ।
कदम अपने उठाओ जब , तो कोई बात है यारों ।
हवा के पुल बनाना तो , बहुत आसान है यारों ।
हकीकत को समझ पाओ , तो कोई बात है यारों ।
मुझसे मिलना मेरे घर पर , बहुत आसान है यारों ।
मुझे घर अपने बुलाओ जब , तो कोई बात है यारों ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
4 टिप्पणियां:
क्या हौसला है! .......बहुत सुन्दर...
http://sharmakailashc.blogspot.com/
मुझसे मिलना मेरे घर पर बहुत आसान है यारों
मुझे घर अपने बुलाओ जब, तो कोई बात है यारों।
सादर आमंत्रित हैं भाई साब! जब भी एमपी की बॉर्डर में आएँ। राजधानी भोपाल से लगभग 200 किमी दूर है इंदौर।
Bahut acche bhai sahab .... Bahut sundae panktiyan hain ......munbhavan
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