तेरा स्वागत करने आये , सब नगर निवासी द्वार तक।
तोरण द्वार है परिचायक , अब मंजिल बहुत समीप है।
जो कदम उठे थे राह पर , वो लक्ष्य के अब नजदीक है।
पर सावधान खुशकिस्मत राही , अभी चंद क़दमों की दूरी है।
संयत होकर कदम बढ़ावो , तुम्हे यात्रा करनी पूरी है।
दो पल चाहे सुस्ता लेना , मन को भी तुम बहला लेना।
संचित करके शक्ति नवीन , फिर पुन: राह पर चल देना।ये उपलब्धि नहीं तेरी मंजिल , अभी तुमको आगे चलना है।
फहराकर विजय पताका , गौरवान्वित लक्ष्य को करना है।
फिर अपने विजय यात्रा का , श्रेय जनमानस को दे देना।
करके तुम अभिमान कोई , ना इतिहास कलंकित कर देना।
1 टिप्पणी:
Beautiful creation !
एक टिप्पणी भेजें