कोई कारण नहीं अकारण ही क्यों , तेरी साख पर मै बट्टा लगाऊ ।
तेरे धवल स्वेत वस्त्रो पर अकारण , अपनी कलम से धब्बे लगाऊ ।
तेरे उजले चहरे पर कालिख मलू , गधे पर तुमको उल्टा बिठाऊ ।
तेरे नाम की एक तकथी बनवाकर , तेरे गले में उसको लटकाऊ ।
गली-गली चौराहों पर क्यों , जूतों से मै तेरा पुतला सजवाऊ ।
तुझको व्यर्थ अकारण ही क्यों , इतना मान-सम्मान दिलाऊ ।
तेरे धवल स्वेत वस्त्रो पर अकारण , अपनी कलम से धब्बे लगाऊ ।
तेरे उजले चहरे पर कालिख मलू , गधे पर तुमको उल्टा बिठाऊ ।
तेरे नाम की एक तकथी बनवाकर , तेरे गले में उसको लटकाऊ ।
गली-गली चौराहों पर क्यों , जूतों से मै तेरा पुतला सजवाऊ ।
तुझको व्यर्थ अकारण ही क्यों , इतना मान-सम्मान दिलाऊ ।
बहुत दिनों से हर हफ्ते तुम , गुंडों को हफ्ता देते हो ।
एक मुस्त धनराशी हमेशा , तुम सरकारी चंदा देते हो ।
अपने हाथो क़त्ल किसी का , कभी नहीं अब करते हो ।
कानून और रखवालो से , स्वप्न में भी नहीं डरते हो ।
हर बार घोटाला करके भी , सहयोग जांच में करते हो ।
भूले भटके कभी नहीं तुम , मेरा नाम उसमे रखते हो ।
कोई कारण नहीं अकारण क्यों , तुझको अतिरिक्त सम्मान दिलाऊ ।
तुम जनसेवक हो तो महापुरुष की , तुझको क्यों मै पदवी दिलवाऊ ।
मोस्ट वांटेड की कड़ियों में , मै तेरी सुन्दर तस्वीर भिजवाऊ ।
राष्ट्रीय नेता से उठाकर तुझको , अंतर-राष्टीय छवि दिलवाऊ ।
जो भी हो तुम महा-महान , गाता हूँ मै तेरा यशोगान ।
करना क्षमाँ मेरी भूलो का , न लेना मुझसे मानहान ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया ब्यंग किया हैं
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