हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

मन मेरा..

आज फिर उदास हूँ शायद , कुछ याद आ रहा है शायद ।
कुछ बोझिल सा है मन मेरा ,तेरी याद आ रही है शायद।
हैरत है क्यों बदल न पाया , चाह कर भी आदत अपनी ।
शब्दों से ही रहता खेलता , करने को व्यक्त व्यथा अपनी ।
लिखता हूँ कुछ शब्दों को , फिर स्वयं ही कटता हूँ उनको ।
यूँ ही अर्थ बदलता बारम्बार , स्वयं बोला था मैंने जिनको ।
हाँ सही कहा था तुमने शायद , है बच्चो जैसा मन मेरा ।
पल में लालयित पल में शांत , कुछ ऐसा ही है मन मेरा ।
जो मन को मेरे भा जाये , ततक्षण मुझे चाहिए बस वो ।
जो मन को मेरे भरमाये , स्वीकार नहीं मुझे भूले से वो ।
जो मेरा है बस मेरा है , मै कैसे उसका बँटवारा कर दूं ।
जो मेरा नहीं है अब तक ,मै कैसे उसको प्यारा कह दूं ।
जितना सीधा है दिल मेरा , उतना ही उलझा मन मेरा ।
तिल का ताड़ बनाने में सब कहते माहिर है मन मेरा ।
दोष नहीं कुछ इसमे मेरा , सत्य खोज ही लेता मन मेरा ।
बात गलत है अगर कोई , स्वीकार नहीं करता मन मेरा ।
अपनी भूलो को क्षण में , स्वीकार भी करता है मन मेरा ।
मगर तेरे भ्रमजाल में मित्रो , नहीं उलझता है मन मेरा ।


सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

4 टिप्‍पणियां:

govind pandey ने कहा…

बात सही है अर्थ तो आप बदलने मे माहिर है , कविता अच्छी लगी ।

Vivek Mishrs ने कहा…

जी गोविन्द जी आरोप अच्छा लगाया है आपने…आभार हा हा हा

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

मन की उलझनों में उलझकर बहुत ही अच्छी
कविता रच दी है
बेहतरीन अभिव्यक्ति ...

Vivek Mishrs ने कहा…

Dhanyawad Reena Ji..

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


क्रिएटिव कामन लाइसेंस
अनंत अपार असीम आकाश by विवेक मिश्र 'अनंत' is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 3.0 Unported License.
Based on a work at vivekmishra001.blogspot.com.
Permissions beyond the scope of this license may be available at http://vivekmishra001.blogspot.com.
Protected by Copyscape Duplicate Content Finder
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...