ये जाने किसने बुलाया है , ये किसका आमंत्रण आया है ।
कुछ भूली बिसरी यादों से , ये कहीं निकल कर आया है ।
निश्चित इस पर नाम मेरा , और पता भी इस पर मेरा है ।
फिर भी अंजानेपन का क्यों , मेरे मन में अभी बसेरा है ।
सन्देश लिखा है इस पर इतना , मैंने मै को बुलाया है ।
जाने किसके मै ने मेरे , मै को स्वयं में बसाया है ।
संग लिखा हुआ है इस पर , बस मुझको ही बुलाया है ।
नहीं जगह घर में दो की , नहीं तुमको गया बुलाया है ।
आओगे यदि चलकर तुम , कपाट बंद ही पाओगे ।
लेकिन अपने घर से तुम , ना खली लौट के जाओगे ।
बना प्रश्न चिन्ह है केवल , नाम पते पर प्रेषक में ।
मै भी रोमांचित हूँ , शामिल होने को आमंत्रण में ।
जाने किसके मै ने मुझको , अपने मै में घेरा है ।
कौन है वो जो इतना ज्यादा, अपनेपन से मेरा है ।
1 टिप्पणी:
प्रस्तुति अच्छी है और तस्वीर भी.
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