हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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गुरुवार, 16 सितंबर 2010

अल्ला हो अकबर - जय श्रीराम ।

नफरत के जब बीज बो रहे , धर्म ध्वजा के लम्बरदार ।
प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे बचायेंगे भगवान हर बार ।


रघुपति राघव राजा राम , जोर से बोलो जय श्रीराम ।
मंदिर वहीँ बनायेगे , चाहे देश में दंगा करवाएंगे ।
बच्चा बच्चा राम का , जन्मभूमि के काम का ।
सुलह नहीं हो पायेगी , रथ यात्रा फिर से आएगी ।
ये तो केवल झांकी है , अभी पूरा नाटक बाकी है ।
याचना नहीं अब रण होगा , संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।
नीव खोद हम डालेंगे , मंदिर अवशेष निकालेंगे ।
सपथ तुम्हे श्रीराम की , अबकी बारी राम की ।
जन्म भूमि के काम ना आये , वो बेकार जवानी है ।
रक्त ना खौले इस पर भी, वो रक्त नहीं बस पानी है ।
राम लला हम आयेंगे , ढांचा सभी ढहायेंगे ।
मंदिर अबकी बनायेंगे , हम धर्म ध्वजा फहराएंगे ।
जो न्याय नहीं कर पाएंगे , हम उनको सबक सिखायेंगे ।
इतिहास के काले पन्नों को , हम केसरिया कर जायेंगे ।
तेरे नाम पर अपनी रोटी , सेंक सदा हम खायेंगे ।
भारत वर्ष को कैसे भी हम , हिन्दू राष्ट्र बनायेंगे ।
बस ख़बरदार...........!!
अल्ला हो अकबर-अल्ला हो अकबर ,इस्लाम के काम हम आयेंगे ।
फतवा जारी करो इमाम , लड़ने हम सब जायेंगे ।
नमाज भले ना पढ़ पावे ,  हम मस्जिद वहीँ बनायेगे ।
आक्रमणकारी बाबर के , नाम को सदा बचायेंगे ।
क्या है साक्ष्य राम थे जन्मे , भारत वर्ष की भूमि में ।
हाँ बाबर निश्चित आया था , चढ़ भारत वर्ष के सीने पे ।
मंदिर बन गया अगर वहां , इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा ।
हम मर कर जन्नत जायेंगे  , जिहाद के काम जो आयेंगे  ।
अगर बनी ना मस्जिद अपनी , खून खराबा हो जायेगा ।
कश्मीर से लेकर केरल तक , हर चप्पा-चप्पा थर्रायेगा ।
हमें ना समझो तुम कमजोर , पडोसी भाई भी आएगा ।
जो हमसे टकराएगा , वो दोजख में जायेगा ।
हँस कर लिया था पाकिस्तान , लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान ।
घास फूस जो खायेगा , वो क्या हमसे लड़ पायेगा ।
ये कैसे हो सकता है , सुलह करें हम काफ़िर से । 
कैसे माने उसे फैसला , जो ना हो मन माफिक से ।
प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे बचायेंगे पैगम्बर ।
नफरत के जब बीज बो रहे , सब धर्मो के आडम्बर ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

8 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बड़े तीखे तीर हैं...वाह!

Anamikaghatak ने कहा…

क्या ग़ज़ब लिखा है आपे है आपने .....बिल्कुल नआईइ सोच .....सुंदर

Saleem Khan ने कहा…

अदालत के फैसले का सभी को सम्मान करना होगा... दोनों ही पक्ष चाहेंगे कि फैसला उनकी तरफ गिरे... मगर संयम बरतना होगा... अदालत सर्वोपरि है....

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बड़े तीखे स्वर हैं पर अच्छा लिखा है

Vivek Mishrs ने कहा…

स्वागत है आप सभी का

आपने सही कहा कि स्वर बहुत ही तीखे है ......

वास्तव में मैंने पहले केवल पहला पार्ट "जय श्री राम" ही लिखा था और सोंचा था कि इसे ब्लॉग पर नहीं पोस्ट करूँगा.....

मगर फिर सोंचा कि जब इसे लिखा है तो ब्लॉग पर भी पोस्ट करू, जिसके कारण मैंने फिर से दूसरा पार्ट "अल्ला हो अकबर" भी बैलेंस करने के लिए लिखा....

पर क्या करे..........अपने विचारो को व्यक्त करते समय स्वभावगत रूप से बस अपने भावों पर ही ध्यान देता हूँ जिसके कारण कभी कभी शब्द तीखे हो जाते है और अपने लोग भी आहात हो जाते है जिसका बाद में मुझे भी अफसोस होता है पर क्या करे ............मै कुछ नहीं करता हूँ जो होता है वो ईश्वर के हाथ में है .

VIKAS ने कहा…

Aapke Lekh Aur Kavitaye Maan ko bhane wali hain........

अंकित कुमार पाण्डेय ने कहा…

अब करो सम्मान अदालत के फैसलों का

भड़ास ने कहा…

"अल्ला हो अकबर - जय श्रीराम ।"

http://www.blogger.com/profile/07864795175623338258Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

bhai kamal kiya.
thik samaya par diya.
donon pakshon ko liya.
sabako barabar jiyaa.
magar nyaay kahan kiyaa?
17/9/10 10:54 AM

http://www.blogger.com/profile/00069411085255665505 बलबीर सिंह (आमिर) said...

कभी मैं भी ऐसी बातें करता था, कुदला लेके बाबरी पर सबसे आगे था मैं
17/9/10 1:23 PM

http://www.blogger.com/profile/16561140666388716499
arpita said...
bahut hi badiya, shreeman.
aapki pratibha or dristi ki dad deni padegi
17/9/10 4:13 PM

http://www.nitinsabrangi.blogspot.com/
nitinsabrangi said...
bahut accha lekhan hai. ekdam satik chot ki hai.kash dharam ke thekedaron ko saram aye.
19/9/10 7:25 PM

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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