किसका होता जयघोष यहाँ , जिससे गुंजित है दशो दिशा ?
किसके स्वागत में फूलों से , पटी हुयी है समस्त धारा ?
किसकी अगवानी करने को , कतार बद्ध है लोग यहाँ ?
किसकी आरती करने को , व्याकुल हैं सब लोग यहाँ ?
दशों दिशाओं कहो जरा , है कौन बीर जो वहां खड़ा ?
क्या विजयी होकर आता है , या रण-भूमि को जाता है ?
छोड़ो तुम जयघोष करो , मै स्वयं ही देखता हूँ जाकर ।
निश्चय ही भारत मां का वो , होगा कोई बीर सपूत ।
हर लाल प्रतिज्ञाबद्ध यहाँ , माता की शान बढ़ाने को ।
अपना शीश कटाकर भी , माता की आन बचाने को ।
फिर चाहे आता होकर विजित, या जाता हो रण करने को ।
चरण-धूलि पाने को उसकी , है आतुर आज मेरा मन भी ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
बढ़िया!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
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