दूर से देखो तमाशा , पास मत जाओ अभी ।
रंग गिरगिट की तरह , बदलेगा वो आदमी ।
मंदिर से आया अभी , मदिरालय अब वो जायेगा ।
मंदिर से आया अभी , मदिरालय अब वो जायेगा ।
देख लिया जो हमें कहीं, मस्जिद में घुस जायेगा ।
संतो और फकीरों जैसा , चोला वो अपनाएगा ।
आप खायेगा मालपुआ , हमसे रोजे रखवाएगा ।
किसी धर्म जाति से उसका कोई , नहीं दूर का नाता है ।
दिखे जहाँ भी मॉल उसे , बस वहीँ वो आता जाता है ।
काँख में अपने छूरा छुपाये , लिए हाथ में माला है ।
संतो और फकीरों जैसा , चोला वो अपनाएगा ।
आप खायेगा मालपुआ , हमसे रोजे रखवाएगा ।
किसी धर्म जाति से उसका कोई , नहीं दूर का नाता है ।
दिखे जहाँ भी मॉल उसे , बस वहीँ वो आता जाता है ।
काँख में अपने छूरा छुपाये , लिए हाथ में माला है ।
अपनी शातिर नजरो से , शिकार खोजने वाला है ।
रंग देखकर औरों का , वो अपना रंग बदल लेगा ।
रंग देखकर औरों का , वो अपना रंग बदल लेगा ।
अपने मन की चोरी को , फ़ौरन ही वो ढँक लेगा ।
तुम कुछ भी समझ ना पाओगे, अपना सर्वस लुटाओगे ।
तुम कुछ भी समझ ना पाओगे, अपना सर्वस लुटाओगे ।
भांफ ना उसको पाओगे , फँस जाल में उसके जाओगे ।
है यही सीख मेरी तुमको, तुम खड़े ओंट में कहीं रहो ।
है यही सीख मेरी तुमको, तुम खड़े ओंट में कहीं रहो ।
गिरगिटिया रंग दिखायेगा , केवल तमाशा देखते रहो ।
1 टिप्पणी:
अच्छी पंक्तिया है ......
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/
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