सच सुनना और भी मुश्किल है ।
आग जलाना अगर कठिन ,
उस पर चलाना मुश्किल है ।
आसान अगर ना सच कहना ,
है कठिन सदा उसपर टिकाना ।
सच का सहारा लिए बिना ,
है कठिन झूंठ साबित करना ।
झूंठ के पाँव नहीं होते ,
वो चलता सच के पावों पर ।
सच चाहे हो लाचार भले ,
वो चलता अपने पावों पर ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें