जाने कितने भाव छिपे हैं , मेरे अंतर्मन में आज ।
सभी प्रतिक्षा करते है , खुल कर आने को बस आज ।
इसमे से ही भाव कोई अब , वीणा बन कर झनकेगा ।
या फिर कोई भाव अचानक , लावा बनकर दहकेगा ।
कुछ मन की व्यथा बताएँगे , कुछ मन में ही रह जायेंगे ।
कुछ भाव ख़ुशी का लायेंगे , कुछ दिल को बहुत दुखायेंगे ।
कुछ अपना तुम्हे बनायेंगे , कुछ अपनो को बिसरायेंगे ।कुछ ज्वाला बनकर उभरेंगे , कुछ गीली लकड़ी सा सुलगेगें ।कुछ आंसू बनकर टपकेंगे , कुछ अंत समय तक सिसकेगें ।इनमे से ही भाव कोई , अपने संबंधो की परिणित होंगे ।सम्मानजनक जो भाव लगे , तुम उसको अपना लेना ।बाकी तो बस भाव ही हैं , उनको यूँ ही बिसरा देना ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
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