आधा सच और आधी रात , कहाँ हो पाई पूरी बात ।
गगन में चाँद भी आधा है , और अभी जाने की है बात ।
कहो कब होगी पूरी बात , न जाने कब होगी मुलाकात ।
कहो कब वापस आऊ मै , रहे न दिल में कोई बात ।
अधूरी है जब तक मुलाकात , खटकती रहेगी मुझको बात ।
चैन से बीतेगी नहीं रात , अधूरी रहेगी जब तक बात ।
कहो तो रुक ही जाता हूँ , रात भर तुम्हे सताता हूँ ।
नींद कहाँ मुझको आयेगी , कहाँ तुम ही सो पाओगी ।
चलो मै रुक ही जाता हूँ , साथ मै तेरा निभाता हूँ ।
मिलाकर अपना आधा आज , बना लेते है कोई काज ।
कसक न रहे कोई दिल मै , समय है संग अभी अपने ।
कहाँ देखा है किसने कल , कहाँ कोई लौट के आया पल ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
bahut achha likhe hain
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