चाहा था तुम्हे चाहूँगा तुम्हे , जब तक रहूँगा इस जग में ।
ये प्यार नहीं मेरा धोखा है , ये प्यार है मेरी तपश्चर्या ।
तुम चाहो तो मुझे भुला भी देना , मै तुमको भुला नहीं पाऊंगा ।जो प्यार मै तुमसे कर बैठा , वो प्यार न दूसरा कर पाऊंगा ।तुम्हे भुलाकर इस जग को , अपना मुख ना दिखालाऊंगा ।अपने प्रेम की बगिया में मै , कैसे किसी और को लाऊंगा ।जब प्रेम किया है मैंने तुमसे , मरते दम तक निभाऊंगा ।अपने मन के अरमानो में , बस तेरे ही सपने सजाऊंगा ।
प्रेम नहीं कोई राज-पाठ , औरों को मै जिसे सौंप दूं ।ना ही ये जागीर कोई , जिसका मै बंटवारा कर दूं ।प्रेम नहीं कोई वस्त्र है , जब चाहूं नया धारण कर लूं ।ना ही प्रेम केंचुली है , जब चाहूं इसे छोड़ कर चल दूं ।ये तो मेरी हकीकत है , और दिल की मेरे निशानी है ।यही मिटा दूं मै दिल से , फिर क्या मेरी शेष कहानी है ।
प्रेम नहीं पग-पग पे होता , इसका भी अपना सानी है ।
मानव जीवन जैसी ही , इसकी भी जन्म कहानी है ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
2 टिप्पणियां:
खूबसूरत एहसासों से सजी रचना....
I Like it very much bhai....bahut achha laga mujhe.
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