पाँच बाते जो आज श्री श्री रविशंकर जी के "आर्ट ऑफ़ लिविंग-२२,२३,२४ जुलाई २०११" में भगवान/आचार्य रजनीश (ओशो) के इस हमसफ़र ने जानी...
१. "विरोधाभाषी मूल्य एक दुसरे के पूरक होते है ।" ....इन्हें व्यर्थ अलग अलग करने का प्रयास न करें .......।
२. "वर्तमान अटल है।" ....भूत और भविष्य काल में न भटके , वर्तमान को स्वीकार करे....।
३. "दूसरों के गलतियों में नीयत या इरादा न ढूंढे ।" ....अपने को उसके स्थान पर रख कर सोंचे....।
४. "व्यक्ति और परिस्थितिया जैसी है वैसा स्वीकार करें । " ....पूर्णता से स्वीकार करने के बाद ही आप बेहतर कुछ कर सकते है....।
हो सके तो कभी इसे भी अजमा कर देखिएगा .... (द्वारा स्वामी महेश गिरी जी)
" किसी टोल टैक्स वाले बैरियर पर जब कभी आप अपनी गाड़ी रोंको और पैसा लेने वाला आये तो....
उसे अपनी गाड़ी के साथ अपने पीछे लगी किसी भी अंजान गाड़ी का भी पैसा अपने पास से दे दे !और साथ ही टोल टैक्स वाले को बता दे कि वो पीछे लगी गाड़ी से पैसा न ले ... बस उसे इतना बता दे की उसकी गाड़ी का पैसा मिल गया है बदले में वो बस एक बार मुस्कुरा दें ....!
इसके बाद एक पल के लिए भी आप वहां न रुके और अगर पीछे वाली गाड़ी आपको ओवरटेक करने का प्रयास भी करे तो भी उससे तेज चलिए और उसे अपना चेहरा न देखने दीजिये......और उसे पुरे रस्ते यूं ही हैरान रहने दीजिये कि किसने और क्यों उसका पैसा दिया है.......
फिर देखिये कमाल...
जब जब आप या वो अंजान गाड़ी वाला किसी भी कारण से दुखी होगा और उस पल आप दोनों में से किसी को भी ये घटना यद् आएगी आप वापस प्रशन्न हो जायेगे.... "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें