बीसियों काम हैं बाकी , कहाँ से आ गए तुम भी ।
कहाँ मुश्किल थी कम पहले , उसी में आ गए तुम भी ।
लगी थी आग पहले से , सेंकने आ गए तुम भी ।
देख कर मौका एक अच्छा , लूटने आ गए तुम भी ।
चलो जब आ गए हो तो , करा लो खिदमत कुछ तुम भी ।
बह रही गंगा में हमसे , धुला लो हाथ अब तुम भी ।
ना जाने लौट कर कब फिर , तुम्हे मौका मिले फिर से ।
या तुमको भूल मै जाऊं , मिलाकर धुल में फिर से ।
1 टिप्पणी:
वर्तमान का यही सत्य है।
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