हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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शनिवार, 29 जनवरी 2011

खंड खंड पाखंड भरा है...

ऐ स्वप्न लोक में रहने वालों , कुछ देर हकीकत भी जी लो ।
आदर्शों की बातें करते हो , कुछ अंश स्वयं भी तुम जी लो ।
     कोरी कोरी बातों से , जग का हुआ कल्याण कहाँ ?
     बिना हकीकत में उतरे , सच का हुआ निर्माण कहाँ ?
          जो माप-दंड तुम रचते हो , वो तुम पर कब लागू होंगे ?
          जो बात स्वप्न में कहते हो , वो कहो हकीकत कब होंगे ?
यूँ तो इस जग में जाने , कितने लोग हैं तुमसे रहते ।
औरों को नित प्रवचन देते , स्वयं दुर्जन के दुर्जन रहते ।
     बस कोरे-कोरे आदर्शो का , हम जैसों को पाठ पढ़ाते ।
     चन्दन टीका लगाके वो , नित बहुरंगी पाखंड रचाते ।
          खून चूसते इस जग का , परजीवी सा जीवन जीते जाते ।
          अपनी करनी लीला कहते , औरों का व्याभिचार बतलाते ।
हम भी स्वप्न लोक में प्राय: , विचरण करने जाते हैं ।
परन्तु हकीकत की परछाहीं , सदा संग ले जाते हैं ।
     जब पाप कर रहे होते है ,  तब स्वयं को पापी कहते हैं ।
     जब पुण्य कर रहे होते हैं , तब साधू सा हम रहते हैं ।
          पाखंड नही रचाते है , ना पाखंड सहन कर पाते हैं ।
          आदर्श वही अपनाते हैं , जिसे जीवन में जी पाते हैं ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

Deepak Saini ने कहा…

बहुत बढिया कविता
बधाई

हरीश जोशी ने कहा…

नमस्कार........ आपकी कविता मन को छु गयी......
मैं ब्लॉग जगत में नया हूँ, कृपया मेरा मार्गदर्शन करें......

http://harish-joshi.blogspot.com/

आभार.

निर्मला कपिला ने कहा…

हर पँक्ति मे सुन्दर सन्देश छुपा है। बधाई।

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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