एक अकेला कम मत अंको , एक ही सब पर भारी है ।
अच्छा हो या बुरा हमेशा , आती उसकी बारी है ।
एक कुल्हाड़ी काफी है , हर शाख को काट गिराने को ।
एक ही चिंगारी काफी है , जंगल में आग लगाने को ।
एक ही जयद्रथ काफी था , अभिमन्यू के घिर जाने को ।
एक ही बिभीषण काफी है , हर घर का भेद बताने को ।
एक ही जयचंद काफी है , गैरों की सत्ता लाने को ।
एक ही कायर काफी है , हर जीत को हार बनाने को ।
एक ही उल्लू काफी है , हर बाग उजाड़ बनाने को ।
एक अनाड़ी काफी है , हर खेल में हार दिलाने को
एक की कीमत को मत पूंछो, एक सब पर भारी है ।अच्छा हो या बुरा हमेशा , आती उसकी बारी है ।एक राम ही काफी हैं , असुरों से मुक्ति दिलाने को ।एक बुद्ध ही काफी है , जग में शांति फ़ैलाने को ।एक बीर ही काफी है, दुश्मन पर विजय दिलाने को ।एक धीर ही काफी है , संकट को दूर भागने को ।एक मशाल ही काफी है , जंगल में राह दिखने को ।एक ही नाविक काफी है , मझधार पार लगाने को ।एक सूर्य ही काफी है , अँधियारा दूर भगाने को ।एक चन्द्रमा काफी है ,धवल चाँदनी फ़ैलाने को ।
एक की कीमत कम मत आँको , एक सभी की दुलारी है ।
दो आँखों के बीच अकेली , नाक सभी को प्यारी है ।
एक-एक मिलकर आपस में , ग्यारह बनकर रहते है ।
बिना एक के लाखों भी , सदा खाली-खाली दिखते हैं ।
एक अंक निज शुभता से ,उपहारों का है मान बढ़ता ।
एक अगर कम रह जाये , मान सभी का है घट जाता ।
एक एक पल मिलकर जैसे , करते है युग का निर्माण ।
एक-एक बूंद मिलकर वैसे , भरते सागर नदिया ताल ।
एक अकेले पेट की खातिर , सारा जग श्रम करता है ।
एक अकेली प्रभु सत्ता को , मेरा मन नमन करता है ।।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
2 टिप्पणियां:
बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - बूझो तो जाने - ठंड बढ़ी या ग़रीबी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बहुत उम्दा परंतु ब्लाग खुलने में अधिक समय लगता है..
पोस्ट पर चिंतन योग्य बिंदू मिले
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