भड़ास blog: कांग्रेस का राजनीति के लिए देशद्रोह को संरक्षण
कालिदास जैसा अपने को महान बनाने के लिए 'मूर्ख' होना कोई आर्हता नही है , और ना ही ये आवश्यक है की उसके लिए मूर्खों सा अपने ही घर के आँगन में लगे फलदायी वृक्षो की शाखाएं या उससे भी भी अधिक मूर्खता करते हुए समूचे वृक्ष को ही कटाने पर जुटे रहें ।
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अफसोसजनक विडम्बना यह है की आज भी कुछ मूर्ख अपने को कालिदास साबित करने हेतु पूर्णतया विचार करके योजनाबद्ध तरीके से पेड़ की उन्ही शाखों को जिस पर आज वो बैठे हुए है , इस आस में कटाने में लगे है कि किसी ना किसी दिन उस पेड़ के नीचे सुसताते पथिक और पेड़ के ऊपर बसेरा करने वाले पंछी भयवस ही सही उन्हें कालिदास के नाम से संबोधित करेंगें ।
"चल पड़े मेरे कदम, जिंदगी की राह में, दूर है मंजिल अभी, और फासले है नापने..। जिंदगी है बादलों सी, कब किस तरफ मुड जाय वो, बनकर घटा घनघोर सी,कब कहाँ बरस जाय वो । क्या पता उस राह में, हमराह होगा कौन मेरा । ये खुदा ही जानता, या जानता जो साथ होगा ।" ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
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शुक्रवार, 14 जनवरी 2011
Making Of A New Kalidas
प्रविष्टिकार :
Vivek Mishrs
प्रविष्टि
शुक्रवार, जनवरी 14, 2011
प्रविष्टि वर्ग:
अफसोस,
राग-रंग,
राजनीत
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आभार..
मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "
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1 टिप्पणी:
मूर्ख है वे लोग जो ऐसा सोचते है
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