वो अक्सर आते हैं मेरे ब्लॉग पर , अपने कदमो के निशां छोड़ जाते हैं ।
पर मै कभी समझ नहीं पाता , जाने क्यों बिना कुछ कहे चले जाते है ??
चलिए आप भले चुपचाप चले जाते हों.....
मै आज जहाँ गया था (ब्लागजगत से बाहर )
वहां कुछ मै पढ़ने को पाया ,
वो मेरे मन को भाया ,
मै उसे लिख कर संग ले आया ।
और अब उसे आप सभी से साझा करने का मन है... तो गौर करें...
" असफलता एक चुनौती है , स्वीकार करो ।
क्या कमी रह गयी देखो , और सुधार करो ।
जब तक ना सफल हो , नींद चैन को त्यागो तुम ।
संघर्षों का मैदान छोड़ कर , मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही , जय-जयकार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की , कभी हार नही होती ।
लहरों से डरकर , नौका पार नहीं होती ।
मेहनत करने वालों की , कभी हार नही होती ।।"
तभी तो कहा गया है ...
वो पथ क्या पथिक परीक्षा क्या , जिस पर फैले शूल ना हों ।
उस नाविक की धर्य परीक्षा क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल ना हों ।
2 टिप्पणियां:
अच्छी कविता है
शेयर करने के धन्यवाद
अच्छी कविता पढ़ने के लिए धन्यवाद
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