वैसी मन भावन बात तेरी ।
अन्ना तुझको नाम दिया ,
गाँधी का तुझे काम दिया ।
लो आज सजा फिर मंच तेरा ,
जनता बिछाती पलक पांवड़े ।
स्वागत है हे जनता जनार्दन ,
कर दो तुम सत्ता का मर्दन ।
अफसोस, नहीं हम पास तेरे ,
फिर भी हर पल हैं साथ तेरे ।
ये क्रांति नहीं अब रुकनी है ,
सत्य,अहिंसा की यह जननी है ।
यहाँ गाँधी ने उपवास किया ,
और बुद्ध ने यहाँ वास किया ।
नमन तुझे है आज के गाँधी ,
आभार तेरे पथ प्रदर्शन को ।
मेरी आँखे तरस रही हैं कबसे ,
तेरा दर्शन प्रत्यक्ष करने को ।
कटिबद्ध है तेरे संग हम सब ,
जन लोकपाल को लाने को ।
बिना रक्तमय क्रांति किये ,
3 टिप्पणियां:
कल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.
बहुत सार्थक प्रस्तुति ...
बहुत सार्थक प्रस्तुति ...
एक टिप्पणी भेजें