१.
२.
देखा आदरणीय योग गुरु बाबा रामदेव जी...
अगर आप उस दिन डरकर "सलवार समीज" पहन कर महिलाओं के झुण्ड में न भागते
और अपनी गिरफ़्तारी होने देते तो जो हाल आज दिल्ली का है और जो जन-सैलाब उमड़ा हुआ है..
वो तब उसी दिन आपके गिरफ़्तारी के साथ हो जाता और आपको भी यू बे-आबरू होकर अपना अनसन न तोड़ना पड़ता...
आपकी ये एक छोटी सी भूल आपके राजनैतिक कैरियर और आपके दम-ख़म पर हमेशा एक बदनुमा दाग की तरह रहेगा इसका मुझे हमेशा अफसोस होगा..पर क्या करे.. आपमें वो नैतिक बल नहीं था जो पहले "महात्मा गाँधी और जे.पी" में था और अब अन्ना हजारे में है...
३.
बाबा तुलसीदास ने सही कहा था...
"विनय न मानत जलधि जड़,गए तीन दिन बीत..
बोले राम सकोपि तब , भय बिन होय न प्रीति "
तो लीजिये आज फिर
रामलीला मैदान की साफ सफाई हो रही है..
जिनके अहंकार को फूँका जाना है वो अपने पुतलो के साथ तैयार खड़े है...
और जिन्हें फूँकना है वो भी धनुष बाण लेकर दल-बल के साथ आने ही वाले है...
जनता भी आ रही है...
संग
जनता जनार्दन भी आ रहे है...
देखते है ये आग कितने देर धधकती है और अपनी लपटों में कितनो को जलाती और झुलसाती है...
अब मनमोहन 'सिंह' जैसे प्रधान मंत्री से यही सुनना बाकि रह गया था ..
" अन्ना के अनशन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ हो सकता है.."
" अन्ना के अनशन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ हो सकता है.."
अरे मै यह नहीं कहता कि यह असंभव है, कुछ भी हो सकता है....
मगर अगर एसा है तो बात गंभीर है , इसे साबित करो ना प्रधानमंत्री जी...
केवल जुबानी जमाखर्च क्यों ?
अरे तुम्हारी दर्जन भर सरकारी ख़ुफ़िया एजेंसिया क्या हिजड़ो कि तरह से अपना हाथ ताली बजाने में लगाये हुए है...जो उन्हें आपकी विदेशी हाथ के बात को प्रमाण सहित साबित करने के लिए सबूत नहीं मिल रहा है ?
अरे तुम्हारी दर्जन भर सरकारी ख़ुफ़िया एजेंसिया क्या हिजड़ो कि तरह से अपना हाथ ताली बजाने में लगाये हुए है...जो उन्हें आपकी विदेशी हाथ के बात को प्रमाण सहित साबित करने के लिए सबूत नहीं मिल रहा है ?
२.
देखा आदरणीय योग गुरु बाबा रामदेव जी...
अगर आप उस दिन डरकर "सलवार समीज" पहन कर महिलाओं के झुण्ड में न भागते
और अपनी गिरफ़्तारी होने देते तो जो हाल आज दिल्ली का है और जो जन-सैलाब उमड़ा हुआ है..
वो तब उसी दिन आपके गिरफ़्तारी के साथ हो जाता और आपको भी यू बे-आबरू होकर अपना अनसन न तोड़ना पड़ता...
आपकी ये एक छोटी सी भूल आपके राजनैतिक कैरियर और आपके दम-ख़म पर हमेशा एक बदनुमा दाग की तरह रहेगा इसका मुझे हमेशा अफसोस होगा..पर क्या करे.. आपमें वो नैतिक बल नहीं था जो पहले "महात्मा गाँधी और जे.पी" में था और अब अन्ना हजारे में है...
३.
बाबा तुलसीदास ने सही कहा था...
"विनय न मानत जलधि जड़,गए तीन दिन बीत..
बोले राम सकोपि तब , भय बिन होय न प्रीति "
तो लीजिये आज फिर
रामलीला मैदान की साफ सफाई हो रही है..
जिनके अहंकार को फूँका जाना है वो अपने पुतलो के साथ तैयार खड़े है...
और जिन्हें फूँकना है वो भी धनुष बाण लेकर दल-बल के साथ आने ही वाले है...
जनता भी आ रही है...
संग
जनता जनार्दन भी आ रहे है...
देखते है ये आग कितने देर धधकती है और अपनी लपटों में कितनो को जलाती और झुलसाती है...
1 टिप्पणी:
जोशपूर्ण लेखन
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