हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

शनिवार, 6 अगस्त 2011

पहेलियाँ..

जाने कब से मेरे मन के , अतृप्त किसी किनारे पर ।
आकर बैठ गयी है देखो , चाहत कोई अनजानी पर ?
यूं तो लगाती है वो मुझको, कुछ जानी पहचानी सी ।
शायद है वो मेरे मन  की ,  कोई अतृप्त  कहानी सी  ?
हाँ वही पुरानी अभिलाषाए , वही पुरानी चाहत फिर ।
लेकिन फिर भी शब्द नहीं , ना भाव वही पुराने फिर ?

मन के आँगन में निशदिन, कुछ बादल बन घुमड़ता  है ।
मन में उठती चाहत से , अब दिल भी बहुत झुलसता है ।
कैसी अजब कहानी है , ज्यों बिन वर्षा के बरसे पानी है ।
लगाती बहुत पुरानी है , पर अब भी अनकही कहानी है ।
 अपनो सी जब लगाती है वो , फिर भी क्यों अनजानी है  ।
समझ के भी मै समझ न पाता, अब यही मेरी कहानी है ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

कोई टिप्पणी नहीं:

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


क्रिएटिव कामन लाइसेंस
अनंत अपार असीम आकाश by विवेक मिश्र 'अनंत' is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 3.0 Unported License.
Based on a work at vivekmishra001.blogspot.com.
Permissions beyond the scope of this license may be available at http://vivekmishra001.blogspot.com.
Protected by Copyscape Duplicate Content Finder
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...