किसी ने क्या खूब सच कहा है ...
हम इस संसार में , मानवीय रिश्तो के मायाजाल में , और शुद्ध व्यवसायिक उतार चढाव में जिन कसौटियों पर दूसरों को परखते हैं और उनके बारे में जितनी सरलता से कोई भी निष्कर्ष निकाल लेते हैं....
उतनी ही सहजता से हमने , आपने क्या कभी यह सोचने की जरुरत महसूस की कि अगर हमें भी कोई दूसरा अथवा स्वयं हमी अपने को उन्ही कसौटियों पर परखे तो वास्तव में क्या निष्कर्ष होगा ?
शायद वही जो प्राय: हम दूसरों के लिए निकलते हैं ,
और अगर यह मानने को हमारा मन तैयार नही हो रहा है तो इसका अर्थ शायद यह है कि हमारे अंतर्मन का अभिमान झुंकने को तैयार नही हो रहा है ।
तो केवल यह मत कहें कि अगर उस जगह पर मै होता तो ऐसा नही करता ।
यह कहने के पहले आप स्वयं को उन्ही मान्यताओं , आकांक्षाओं , सम्बन्धों और परिस्थितियों के मध्य ईमानदारी से स्थापित करें और फिर तथस्त / निर्विकार भाव से किसी दृष्टा की तरह से देखें और फिर कुछ कहें ।
आपका अपना
विवेक.....
"आप जिस कसौटी पर परखते हैं हमको ,
गर आपको परखें तो अंजाम क्या होगा ?"
हम इस संसार में , मानवीय रिश्तो के मायाजाल में , और शुद्ध व्यवसायिक उतार चढाव में जिन कसौटियों पर दूसरों को परखते हैं और उनके बारे में जितनी सरलता से कोई भी निष्कर्ष निकाल लेते हैं....
उतनी ही सहजता से हमने , आपने क्या कभी यह सोचने की जरुरत महसूस की कि अगर हमें भी कोई दूसरा अथवा स्वयं हमी अपने को उन्ही कसौटियों पर परखे तो वास्तव में क्या निष्कर्ष होगा ?
शायद वही जो प्राय: हम दूसरों के लिए निकलते हैं ,
और अगर यह मानने को हमारा मन तैयार नही हो रहा है तो इसका अर्थ शायद यह है कि हमारे अंतर्मन का अभिमान झुंकने को तैयार नही हो रहा है ।
तो केवल यह मत कहें कि अगर उस जगह पर मै होता तो ऐसा नही करता ।
यह कहने के पहले आप स्वयं को उन्ही मान्यताओं , आकांक्षाओं , सम्बन्धों और परिस्थितियों के मध्य ईमानदारी से स्थापित करें और फिर तथस्त / निर्विकार भाव से किसी दृष्टा की तरह से देखें और फिर कुछ कहें ।
आपका अपना
विवेक.....
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
3 टिप्पणियां:
बहुत बढिया
आपके विचार
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
भाग कर शादी करनी हो तो सबसे अच्छा महूरत फरबरी माह मे
विचारनीय पोस्ट। शुभकामनायें।
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