जाने क्यों आज तेरी , याद मुझे आती है ।
तुझसे मिलने की तड़फ , दिल में वो उठाती है ।
जख्म तूने जो दिए , सब भर गए तेरे बिना ।
फिर नए किसी दर्द की , चाह मन में आती है ।
जब दोस्ती तुमसे पुरानी , कैसे जख्म कोई और दे ।
घाव जब तूने दिया , कैसे कोई गैर उसे कुरेद दे ।
चैन से सोये ना होगे , इस बीच में तुम भी कभी ।
नींद तुम्हे कहाँ आती थी , बिना घायल किये मुझको कभी ।
भूँख भी तुमको वहां , लग रही होगी कहाँ ।
मुझको तड़फता देख कर , तुम्हे भूँख लगती थी यहाँ ।
तुम भले ही भूल जाओ , दोस्ती अपनी पुरानी ।
मै भुला सकता नहीं , दोस्ती की ये कहानी ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
2 टिप्पणियां:
प्यार में अक्सर ऐसा ही होता है। वाकई आपकी रचना में बड़ा दर्द है।
bahut achchhe bhav bhari rachna
एक टिप्पणी भेजें