हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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सोमवार, 1 अगस्त 2011

आओ मै प्रेम सिखाता हूँ...

आओ मै प्रेम सिखाता हूँ , तुम्हे प्रेम के रूप बताता हूँ ।
कहते हो तुम जिसे प्रेम , उसका विस्तार बताता हूँ ।

जैसे बहती नदिया का , लगता हमको है जल प्यारा ।
पर जब वह रुक जाती है , दूषित हो जाता जल सारा ।
वैसे ही है प्रेम की धारा , रुकते ही हो कलह पुराना ।
बहती है जब इसकी धारा , सारा जब हमें लगता प्यारा । 

प्रेम नहीं है कभी सपाट , तीन कोण में उसका वास ।
काया , मन और अंतरात्मा , इनमे प्रेम का होता वास ।
काया करता जब भी प्रेम , प्रेम की होती केवल भ्रान्ति ।
शोषण होता बस औरों का , मन को नहीं मिलती शांति ।

काया से जब प्रेम करोगे , मन में घृणा वैमनस्य भरोगे ।
लालच वासना और लिप्सा , इनको ही तुम प्रेम कहोगे ।
फिर पाकर कष्ट प्रेम में तुम , जीते जी मर जाओगे  ।
या कायरता में होकर विरक्त , साधू सन्यासी हो जाओगे  ।

जब प्रेम जायेगा मन के तल पर , मन मयूर हो जायेगा ।
स्वाद मिलेगा तुम्हे अनोखा , पर स्वाद न थिर रह पायेगा ।
कभी बनेगा शिखर प्रेम का , कभी विषाद का छण भी आएगा ।
फिर प्रेम की इस छणभंगुरता से , एक नया द्वार खुल जायेगा ।

प्रेम युक्त जब होगी आत्मा , द्वव का भेद मिट जायेगा ।
छोड़ भरोसा किसी और का , स्वयं से प्रेम हो जायेगा ।
सच्चा प्रेम वही है जब , तेरा-मेरा भेद मिट जायेगा ।
यही प्रेम सभी कष्टों से , तुम्हे भवसागर पार ले जायेगा ।

तो आओ मै प्रेम सिखाता हूँ , पर मृत्यु का पाठ पढाता हूँ ।
है प्रेम गली अति सांकरी , उससे गुजरना तुम्हे बतलाता हूँ ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

govind pandey ने कहा…

bahut achha likhe hain bhai aur photo bahut achhi hai..kis mandir ki hai?

Vivek Mishrs ने कहा…

Govind Ji , ye delhi ka ek bahut bada Shiv Mandir hai..Nam bhool gaya hoon, magar isake samane hi Jaino ka ek bada Aradhana sthal bhi hai.

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

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