कुछ पल ऐसे होते है , ओंठो पे हँसी आँखों में आंसू होते है ।
व्याकुल होते कुछ कहने को , ओंठो पर वक्त के ताले होते है ।
कुछ होती है बाते ऐसी , हम समझ नहीं उन्हें पाते है ।
जब समझ हमें वो आती है , समय चूक हम जाते है ।
कुछ लोग दिलो में बसकर भी , दिल को चोट पहुँचाते है ।
अंजाने में ही जाने कब , कुछ अपने बेगानों से हो जाते है ।
जिसको दिल ने अपना कहा , कैसे अब अलविदा उसे कह दें ।
लेकिन जब हो दिल ही दुखा , क्यों ना दिल की हम कह दें ।
वो भूल हमारी अपनी थी , पहचान सही ना कर पाए ।
स्वप्नों में ही रहे भटकते , ठोस धरातल पर ना आये ।
मजबूरी है अपनी अब देखो , ओंठो पर हँसी रखनी है ।
दिल रोये भले ही कितना , चेहरे पर मुस्कान रखनी है ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
9 टिप्पणियां:
सटीक और सुन्दर प्रस्तुति ....
आपकी पोस्ट चर्चा मंच 9/2/2012 पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-784:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सुदर रचना!
Aapka aabhar ki aapne meri post charcha manch par samil kiya.
Punah Dhanyawad
बहुत खूब...
अच्छे भाव हैं आपकी रचना में..
शुभकामनाएँ.
काफी कठोर शब्दों में भावनाओं की प्रस्तुति "वो भूल हमारी अपनी थी...". अच्छी अभिव्यक्ति है, सराहनीय है.
Govind ji.. dhanyawad
Me yahi kahunga ki...
Kthoor sabdo par na jaye mere...bas bhavo par hi dhyan de.
Sabdo ka kya vo to youn hi kuch bhi ho sakate hi.. bhavo ko pahachano jo dil me hi basate hi.
जनाब, भावनाओं को शब्द के माध्यम से ही प्रस्तुत किया जाता है.
सुंदर प्रस्तुति अच्छी अभिव्यक्ति और नेक विचार.
बधाई.
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