प्रिय गोविन्द जी के सौजन्य एवं उनसे जबरन प्राप्त अनुमति से आपके समक्ष प्रस्तुत है उनकी दूसरी रचना ...
हँस के हम सारे गम
अब छुपाने लगे ,
हमसे वो अब
बहुत दूर जाने लगे।
भूल हमको
किसी से दिल वो लगाने लगे ,
हमी से मोहब्बत के
किस्से सुनाने लगे।
उनको हम अब तो
लगने बेगाने लगे ,
हमसे नज़ारे भी वो अब
चुराने लगे।
यादों में उनकी
हम डूब जाने लगे ,
याद में उनकी
आंसू बहाने लगे।
प्यार पाने की
खुशियाँ वो मनाने लगे ,
प्यार खो के
गम गले हम लगाने लगे।
सपने सारे हमारे
टूट जाने लगे ,
वो तो औरो के
सपने सजाने लगे।
वफ़ा कर के भी हम
हार जाने लगे ,
हँस के आँसू भी हम
पीते जाने लगे।
जिंदगी गम के साये में
फिर बिताने लगे ,
हँस के हम
सारे गम अब छुपाने लगे।
हँस के हम सारे गम
अब छुपाने लगे ,
हमसे वो अब
बहुत दूर जाने लगे।
भूल हमको
किसी से दिल वो लगाने लगे ,
हमी से मोहब्बत के
किस्से सुनाने लगे।
उनको हम अब तो
लगने बेगाने लगे ,
हमसे नज़ारे भी वो अब
चुराने लगे।
यादों में उनकी
हम डूब जाने लगे ,
याद में उनकी
आंसू बहाने लगे।
प्यार पाने की
खुशियाँ वो मनाने लगे ,
प्यार खो के
गम गले हम लगाने लगे।
सपने सारे हमारे
टूट जाने लगे ,
वो तो औरो के
सपने सजाने लगे।
वफ़ा कर के भी हम
हार जाने लगे ,
हँस के आँसू भी हम
पीते जाने लगे।
जिंदगी गम के साये में
फिर बिताने लगे ,
हँस के हम
सारे गम अब छुपाने लगे।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 ミ★गोविन्द पांडे ★彡
1 टिप्पणी:
बहुत सार्थक व् सुन्दर प्रस्तुति .आभार
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