मन के अथाह सागर में ,
प्रतिपल हलचल रहती है ।
भावनाओ की अनगिनत ,
लहरे रोज मचलती हैं ।
चाहतो की नित जटिल ,
भँवरे यहाँ बनती हैं ।
आगोश में अपने समाये ,
भावनाओ को रखती हैं ।
जो भी चाहो वो दिखेगा ,
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
बहुत सारगर्भित सुन्दर प्रस्तुति..
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