"औरंगजेब" कल झेल़ा इसे, एकदम थर्ड क्लास बकवास मूवी , सिवाय सिर्फ एक बेहतरीन डायलाग के -
"सपनों से ज्यादा अपनो की कीमत होती है" , बात तो सच है पर क्या ये बात नहीं अधूरी ?
"सपनों से ज्यादा अपनो की कीमत होती है" , बात तो सच है पर क्या ये बात नहीं अधूरी ?
कहते तो सच हो सारा , पर कही बात अधूरी है यारा ।
सपनों से ज्यादा अपनो की , जीवन में कीमत होती है ।
पर अपने ही अपने ना हो तो, सपनों की बात करे हम क्या ?
सपने और अपने दोनों ही , कुछ सच कुछ आभासी होते है ।
कुछ दिखते अपनो के जैसे , पर सपनों के जैसे होते है ।
कुछ सपने सपने होते है , पर अपनो के जैसे होते है ।
मत हँसो मेरी इस बात पर तुम , मै बात घुमाता नहीं यारा ।
दिल की बात जो दिल से निकले , वही बात मै कहता हूँ यारा ।
सपने और अपने दोनों ही , अपने और पराये होते है ।
जो निभा सके संग तेरे अपना , बाकी सब पराये होते है ।
सपने बस सपने होते है , अपने बस अपने होते है ।
कुछ अपने सपने होते है , कुछ सपने अपने होते है ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अपने और पराये का बारे में !
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २ १ / ५ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
सच है निभाने वाले ही अपने होते हैं ...
वर्ना तो सब अपने बनते हैं ... लाजवाब लिखा है ...
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