धूप छांह है जीवन सारा , लगता इसी लिये है प्यारा ।
कभी हँसाये कभी रुलाये , फिर भी लगता हमको न्यारा ।
कभी क्रोध मे हमे जलाये , कभी प्रेम की धार बहाये ।
कभी गैर अपना बन जाये , अपनो को कभी गैर बनाये ।
कभी बहे दूध की नदियां , कभी तड़प पानी बिन जाए ।
कभी दुखो के बादल छाये , पल मे गीत खुशी के गाये ।
कभी द्वार पर लगता मेला , कभी हो घर वीरान अकेला ।
कभी प्रेम अतिशय यह पाये , कभी तरस साथ को जाए ।
कभी फ़ूल आंचल मे आये , कभी धूल से तन सन जाए ।
कभी मिले फ़ल बैठे बैठे , कभी परिश्रम से भी ना पाए ।
कभी जन्म की बजे बधाई , पल मे शोक म्रृत्यु की छाई ।
रहे बदलता मौसम सा सब , नश्वर जीवन की यही दुहाई ।
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