तू चैन है मेरे दिल की और , हमराज है मेरे राजो की ।
फिर भी तू मुझे सताती है , क्यों दूर यूँ मुझसे जाती है ।
तू पल दो पल को आती है , पल भर में गायब हो जाती है ।
मुझे तडफता देख के शायद , तू कहीं मंद मंद मुस्काती है ।
मै तो तेरी आहत से भी , हर पल चौकन्ना रहता हूँ ।
पलक पावड़े बिछा कर , सदा तेरी राह ही तकता हूँ ।
फिर भी तू मुझे सताती है , क्यों दूर यूँ मुझसे जाती है ।
तू पल दो पल को आती है , पल भर में गायब हो जाती है ।
मुझे तडफता देख के शायद , तू कहीं मंद मंद मुस्काती है ।
मै तो तेरी आहत से भी , हर पल चौकन्ना रहता हूँ ।
पलक पावड़े बिछा कर , सदा तेरी राह ही तकता हूँ ।
शाम ढले ही मै अपना , बिस्तर रोज सजाता हूँ ।
प्यारी भीनी खुशबू से , फिर उसको महकाता हूँ ।
नजर बचाकर सबकी , खिड़की से झांक भी आता हूँ ।
तेरी खातिर दरवाजो को , मै खुला छोड़ कर आता हूँ ।
रोज यही करता सदा , फिर मुश्किल से मिल पाता हूँ ।
करते करते इंतिजार तेरा , वो बेवफा मै थक जाता हूँ ।
यदि नहीं मै तुझको भाता हूँ , क्यों तू आस जगाती है ।
तड़फ उठा कर दिल में , क्यों तू मुझको ललचाती है ।
देर रात जब आती है तू , मुझे सुबह देर हो जाती है ।
तेरे कारण मेरी जग में , बदनामी बहुत हो जाती है ।
यूँ रोज रात दो-तीन बजे , तू कब तक पास मेरे आएगी ।
मेरी 'नींद' तू होकर भी , क्यों समय से न मुझे सुलायेगी ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
3 टिप्पणियां:
वाह |||
बहुत ही सुन्दर मनभावन कविता .
बेहतरीन प्रस्तुति..:-)
बेहतरीन अभिव्यक्ति ...
आप सभी का ब्लाग पर आकर अपना अमुल्य समय देने हेतु धन्यवाद………
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