हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

अंधेर नगरी

मित्रों,
         बचपन  में दादा जी के मुह से सुना था " अंधेर नगरी चौपट राजा, सवा सेर भाजी सवा सेर खाझा " पर क्या ये बात सिर्फ कहानियों तक ही सीमित है ? शायद नहीं , तो सुने ............. 
अंधकार का राज जहाँ हो,
                         आडम्बर पलता बढता है।
 मात्र दिखावा करने से ही,
                         जीवन यापन चलता है।
सच का होता मूल्य नहीं,
                         ना कोई पारखी होता है।
कोरे होते सिद्धांत सभी ,
                         आदर्श खोखला होता है।
नव पथ का होता श्रजन नहीं,
                         गणेश परिक्रमा होता है।
सच को झूंठ ,झूंठ को सच,
                         मनमाना निर्णय होता है।।
                     चाटुकारिता वहां पनपती,
                         तृप्त अहम् को मिलता है।
अपना हिस्सा पाने को,
                         बस गुप्त होड़ तब चलता है ।
आम को आम नहीं कहकर,
                         जग उसको इमली कहता है।
कुत्ते के पिल्लों को जग,
                         जंगल का राजा कहता है।
ऐसे चौपट राजा का ,
                         राज जहाँ भी चलता है।
वह राज्य छोड़ कर दूर कहीं,
                         बंजर में रहना अच्छा है।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

सार्थक व सराहनीय प्रस्तुती ,सत्य को उजागर करती शानदार पोस्ट ...

SANSKRITJAGAT ने कहा…

उत्‍तम: प्रयास:

शोभनं काव्‍यम्

ब्‍लाग जगत पर संस्‍कृत प्रशिक्षण की कक्ष्‍या में आपका स्‍वागत है ।
http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर क्लिक करके कक्ष्‍या में भाग ग्रहण करें ।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

यथार्थ को प्रस्तुत करती है आपकी रचना.

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


क्रिएटिव कामन लाइसेंस
अनंत अपार असीम आकाश by विवेक मिश्र 'अनंत' is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 3.0 Unported License.
Based on a work at vivekmishra001.blogspot.com.
Permissions beyond the scope of this license may be available at http://vivekmishra001.blogspot.com.
Protected by Copyscape Duplicate Content Finder
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...