जो भी हूँ मै जैसा हूँ , अपने आप में वैसा हूँ।
लाख कमी हो मुझमे , फिर भी अपने जैसा हूँ।
कभी ख़ुशी कभी गुस्से में , अपनी बातें कहता हूँ।
अपनो की सब सुनता पर , अपने दिल की करता हूँ।
ना बनने की कोशिश की , ना औरो जैसा दिखने की।
यूँ जो भी हूँ मै जैसा हूँ , बस अपने आप में सच्चा हूँ।
लाख कमी हो मुझमे , फिर भी अपने जैसा हूँ।
कभी ख़ुशी कभी गुस्से में , अपनी बातें कहता हूँ।
अपनो की सब सुनता पर , अपने दिल की करता हूँ।
ना बनने की कोशिश की , ना औरो जैसा दिखने की।
यूँ जो भी हूँ मै जैसा हूँ , बस अपने आप में सच्चा हूँ।
कोई साथ चले या दूर रहे , अपनो के संग सदा रहता हूँ।
अच्छा कहो या बुरा मुझे , मै अपने दिल की करता हूँ।
गुण हो ये या दुर्गुण हो , बात ना दिल में रखता हूँ।
हो खुशहाल या टूटा दिल , नहीं दिल पर बोझ मै रखता हूँ।
फिर भली लगे या लगे बुरी , मै बात सामने कहता हूँ।
जो भी हूँ मै जैसा हूँ , स्वय में निश्छल भाव से वैसा हूँ।