हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

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बुधवार, 29 जनवरी 2014

करते रहेंगे नौटंकी यार...

एक था राजा एक प्रजा थी , 
प्रजा पर सदा राजा की कृपा थी। 
यूँ राजा से पहले भी प्रजा थी , 
पर भूंखी नंगी वो सदा थी। 
था राजा का एक राजकुमार , 
जो था राजा से भी ज्यादा सुकमार। 
यूँ वो सदा विदेश ही दौड़ा करता , 
पर कभी कभी जनकल्याण का भी दौरा पड़ता। 
फिर जब देख प्रजा को उसे आता तरस , 
लगता जैसे स्वाती नक्षत्र में पड़े बादल बरस। 

जब भाव-विभोर हो जाता वो , 
समरसता लाने गरीबो के घर जाता वो। 
भूंखी-नंगी खानदानी प्रजा को ,
फिर आकर गले लगाता वो। 
खाना खाकर उनके घर में ,
लेकर डकार भूल सब जाता वो। 
चेले-चापड़ कलछुल-चमचे ,
जब जय-जयकार मचाते थे। 
देख कुँवर की पप्पूगिरी ,
राजा-रानी संग मंत्री हर्षाते थे। 

तभी ना जाने कहाँ किधर से ,
एक नया बहुरुपिया देश में आया। 
स्वॉँग बनाकर तरह तरह का ,
जनता के दिल को हर्षाया। 
बोला ख़तम करेंगे हम ,
राजा-रानी मंत्री-संतरी का भ्रष्टाचार। 
फिर बीच सड़क पर चलाएंगे ,
हम जनता की चुनी सरकार। 
लोक-लुभावन नारे देकर ,
सदा करते रहेंगे नौटंकी यार। 

यूँ जनता तो जनता ही है ,
सदा बनना मूर्ख भाग्य में है। 
करे विधाता भी क्या तब ,
जब चूतिया नन्द,चन्द,घोड़ी सब। 
अब आगे की क्या कहें कहानी ,
घाल-मेल ज्यों दूध और पानी। 
आप-साँप की जोड़ी मिलकर ,

करते है देखो मनमानी। 
यही दुआ है देश की खातिर ,
जनता हो जाये थोड़ी सयानी। 


सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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