हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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शनिवार, 18 सितंबर 2010

क्षमा करो हे मातु... आशीष माँगने मै आया ।


क्षमा करो हे मातु सरस्वती , जिह्वा का मान ना रख पाया ।
करके प्रयोग कटु शब्दों का , अपमान तेरा करता आया ।
अपने लिखे हुए शब्दों से , भला ना कोई कर पाया ।
उलटे औरों का अहित सदा , अब तक मै करता आया ।

क्षमा करो हे मातु भगवती , ना सज्जनता अपना पाया ।
कुटिल कलुष प्राणी बनकर , दुर्जनता ही करता आया ।
दया धर्म का किया दिखावा , जन कल्याण ना कोई कर पाया ।
भुला सभी की आकांक्षा , निज स्वार्थ सिद्ध करता आया ।

क्षमा करो हे मातु गायत्री , मै तेज ना धारण कर पाया ।
उलटे अपने अंतरतम से , अँधियारा घना करता आया ।
अगणित अवसर तुमने दिया , पहचान ना उसको मै पाया ।
हठ और अहम् के दोषों से , घनीभूत स्वयं को करता आया ।

क्षमा करो हे मातु धारणी , मानव नहीं मै बन पाया ।
राक्षस और निशाचर सा , मै जीवन अब तक जीता आया ।
विद्दया तप ना दान शील , ना ज्ञान धर्म अपना पाया ।
तेरे ऊपर बनकर भार ,  पशु सा विचरण करता आया ।

क्षमा करो हे मातु जननी , सुपुत्र नहीं मै बन पाया ।
तेरी सेवा कर सका ना मै , दूर ही तुझसे रहता आया ।
जन्म से लेकर अब तक मै , सदा ममता ही तुझसे पाया ।
पर कर्ज चुकाना मुझे दूध का , ये याद मुझे ना रह पाया ।

क्षमा करो हे मातु सभी , समझ देर से मै पाया ।
क्षमा मांगने तेरे आगे , मै हाथ जोड़ कर अब आया ।
कर सको क्षमा मुझ अधम को जो , समझूँगा वरदान प्रगति का मै पाया ।
सदकर्मो से  ना डिगूं कभी , यही आशीष माँगने मै आया ।

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

मन मॆं उतर गई रचना...

Udan Tashtari ने कहा…

मन मॆं उतर गई रचना...

vishal ने कहा…

आपकी लेखनी से पाठक के मन की वाणी निकलती । बहुत ही सुंदर रचना है।

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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