हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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बुधवार, 4 अप्रैल 2012

फरियाद..

तेरी यादो में ही कट गयी , देखो कल मेरी सारी रात ।
जब होने लगा सबेरा तब , फिर आयी मुझे तेरी याद ।

तुम ही थे मेरे स्वप्नों में , और हकीकत में भी पास ।
बीत रहे हर एक पल में , केवल तुम ही थे  मेरे साथ ।

आँखों  में बस  तेरा चेहरा , मन  में बस तेरी यादे  है ।
नींद नहीं आती है मुझको , एक तेरी याद में जागे है ।

सोच रहा है मन मेरा , क्या तुमको भी मै आया याद ।
तुम साथ रहो मेरे हर पल , यही मन करता फरियाद ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है।

Vivek Mishrs ने कहा…

Dhanyawad mitra...
Afasos jisake liye ise moolatah likha gaya tha usane ise nahi dekha... :-)

govind pandey ने कहा…

अति सुन्दर रचना

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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