हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

ऐ दोस्त

जाने क्यों आज तेरी , याद मुझे आती है ।
तुझसे मिलने की तड़फ , दिल में वो उठाती है ।
जख्म तूने जो दिए , सब भर गए तेरे बिना ।
फिर नए किसी दर्द की , चाह मन में आती है ।
जब दोस्ती तुमसे पुरानी , कैसे जख्म कोई और दे ।
घाव जब तूने दिया , कैसे कोई गैर उसे कुरेद दे ।

चैन से सोये ना होगे , इस बीच में तुम भी कभी ।
नींद तुम्हे कहाँ आती थी , बिना घायल किये मुझको कभी ।
भूँख भी तुमको वहां , लग रही होगी कहाँ ।
मुझको तड़फता देख कर , तुम्हे भूँख लगती थी यहाँ ।
तुम भले ही भूल जाओ , दोस्ती अपनी पुरानी ।
मै  भुला सकता नहीं , दोस्ती की ये कहानी ।


© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

आज और अब तक का बासी, गिद्ध-वाणी-2

नमस्कार

अनंत अपार असीम आकाश की गिद्ध-वाणी में आप सभी विचरण कर रहे प्राणियों का स्वागत है....

आज की गिद्ध वाणी में अब आप के समक्ष समाचार जगत से आज और अब तक  का बासी पर गिद्ध दृष्टि से देख कर गिद्ध उवाच प्रस्तुत है....

बासी खबर : मुशर्रफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट।
गिद्ध उवाच : ये तो होना ही था , जैसी करनी वैसी भरनी।

बासी खबर : संबोधन में गड़बड़ी बड़ी बात नहीं-कृष्णा।
गिद्ध उवाच : निश्चित तौर पर , भले संबोधन गलत देश के नाम कर दिया मगर अपना परिचय तो सही देश के नाम से दिया ना।

बासी खबर :  पूर्वोत्तर की आवश्यकताओं के प्रति सरकार सचेत-प्रधानमंत्री
गिद्ध उवाच : हवा में सुनने-सुनाने में अच्छा और सच्चा लग रहा है , मगर हकीकत ?

बासी खबर : असली तथ्य छिपा रहे हैं राजा-सीबीआई।
गिद्ध उवाच : वाह जी बड़े नादान है आप , अगर सब उगल ही देना होता तो तमाम तरकीबें लगाकर निगलते क्यों ।

बासी खबर : इच्छा मृत्यु, सुनवाई में मौजूद रहें डॉक्टर-उच्चतम न्यायालय 
गिद्ध उवाच : हाँ होना ही चाहिए , कम से कम डाक्टर की शक्ल देख कर मरीज के अपने निर्णय से पलटने की संभावना समाप्त हो जाएगी।


बासी खबर : संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन करते हुए पाक ने फिर पार की हद
गिद्ध उवाच : अरे वो कब अपने हद में रहा है ? यही लोगों को कभी-कभी भ्रम हो जाता है।

खबर : राजा को तिहाड़ जेल भेजा गया ।
गिद्ध उवाच : पक्का कर लो , कहीं वहां भी तो दरबार लगाने की व्यवस्था सरकार  ने ना कर दी हो ।


बासी खबर : प्रधानमंत्री की टिप्पणी हास्यास्पद: मोदी।
गिद्ध उवाच : भाई एक उम्र होती है बहंकने  की , सरदार जी भी कुछ बहंकी बाते करने लगे हो तो बुरा नहीं मानना चाहिए।


बासी खबर : पाउच में नहीं बिकेंगे तंबाकू उत्पाद ।
गिद्ध उवाच : मगर बिकेगा जरुर , पहले धरती को बचा लें , फिर इंसानों की सोंची जाएगी ।


बासी खबर : सोनिया ने अर्जुन का हालचाल जाना ।
गिद्ध उवाच : लगता है उन्हें लगाना है किसी लक्ष्य  पर निशाना ।


तो इसी के साथ अगली गिद्ध वाणी के प्रकाशन तक गिद्ध हस्त प्रणाम..

जिंदगी के रंग

जिंदगी है एक पर , रंग उसमे है हजार ।
एक पल में है ख़ुशी , एक पल में दुःख हजार ।
      एक ही होता है दिल , जो भेष बदलता रहता है ।
      कभी दरियादिल बन जाता , कभी पत्थर का हो जाता है ।
देखने में इन्सान सब , एक से लगते यहाँ ।
पर न जाने रूप कितने , है छुपे उनमे यहाँ ।
      रात-दिन करते हैं पूजा , पर पत्थर कहते भगवान को ।
      भूल कर सब दोष अपने , आरोपित करते भाग्य को ।
उलझने सुलझाने की , दावे जो करते यहाँ ।
वो ही उसे उलझाकर , हैं मजा लेते यहाँ ।
      जो आज मिलते हैं गले , वो काट लेते कल गला ।
      लेकर सपथ सच की यहाँ , सच को ही देते जला ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

नादानों सा क्यों भटक रहे

नादानों सा भटक रहे , क्यों अंजानो सा अटक रहे ।
क्या आज हुआ तुमको मानव , क्यों अपने को तुम भूल रहे ।
तुम ईश्वर की सर्वश्रेष्ट कृति , आशाएं  तुमसे उसे बड़ी ।
पुरषार्थ की राह में आलस्य की , देखो क्यों है दीवार खड़ी ।
मानवता की बगिया में , दानवता कैसे पली बढ़ी ।
जहाँ प्रेम के फूल थे लगने ,  क्यों नफ़रत की है बाड़ खड़ी ।

सोचो हुयी कहाँ ये भूल , किसने चुभाये तुमको शूल ।
अपने मन का सागर मथ कर , खोजो क्या है इसका मूल ।
शायद कुछ रत्न मिले तुमको , अंतर्मन के मंथन से ।
या मुक्त हो सको तुम अपने , मन में घुले हलाहल से ।
रत्न तुम्हारे अपने होंगे , हैं नीलकंठ विष पीने को ।
कर्म तुम्हारे अपने होंगे , है भाग्य केवल फल देने को ।

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

आप सभी के लिए कहीं से कुछ खास....

1.
Anybody can become angry. That is easy.
But to be angry with the right person
And to the right degree
And at the right time
And for the right purpose
And in the right way
That is not within everybody power , and is not easy.

2.
There are two types of persons
One who believe in work
And
Other who believe in getting credit
Try to be in first group
There is less competition.

3.
Nobody can go back and start a new beginning
But
Everyone can start today and make a new ending.

आज और अब तक का बासी, गिद्ध-वाणी-1

नमस्कार

अनंत अपार असीम आकाश में आज से प्रारंभ हो रही गिद्ध-वाणी में आप सभी विचरण कर रहे प्राणियों का स्वागत है....

आज की गिद्ध वाणी में अब आप के समक्ष समाचार जगत से आज और अब तक  का बासी पर गिद्ध दृष्टि से देख कर गिद्ध उवाच प्रस्तुत है....

बासी खबर : वेश्यावृत्ति को मिले वैधानिक दर्जा - प्रिया दत्त ।
गिद्ध उवाच :  क्यों नही , यदि नेताओं को वैधानिक दर्जा दिया जा सकता है तो वेश्यायों के साथ बेद-भाव क्यों ?

बासी खबर : सीबीआई का शक तलवार दंपति पर ।
गिद्ध उवाच : नजूमियों जैसी हालत हो गयी है सी.बी.आई की , शुक्र है कसाब से पूँछताछ  का जिम्मा सी.बी.आई. को नही मिला था ।

बासी खबर :  ‘घोटाले’ में प्रधानमंत्री अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से नहीं बच सकते - भाजपा ।
गिद्ध उवाच : अब तक कितने प्रधानमंत्री ठोस जिम्मेदारी और जवाबदेही के दायरे में आये है ? , जैसे पिलपिले सवाल वैसे पिलपिले जबाब ।

बासी खबर : राहुल गाँधी ने सौकड़ो मील की यात्रा कर तीन बलात्कार पीड़ितों से मुलाकात की ।
गिद्ध उवाच : तो क्या हुआ , प्रत्येक युवराज को हक है की राजा बनने से पहले सभी तरह के अनुभवों से रूबरू होने का , और वैसे भी वर्तमान में देश में अन्य कोई गंभीर जटिल समस्या तो है ही नही सिवाय इसके कि प्रत्येक दिन आम जन के साथ राजनयिक जन बलात्कार कर रहे हैं ।

बासी खबर : जेपीसी गठन के लिए सरकार तैयार ।
गिद्ध उवाच : जब जेपीसी कोई कानूनी कार्यवाही कर ही नही सकती तो इतने दिन व्यर्थ का नाटक क्यों ? , जो नुकसान हुवा उसकी भरपाई कौन करेगा ? सही कहा गया है "जैसे ललका चाउर तैसे द्तचिहार गहंकी" ।


बासी खबर : विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री मायावती के औरैया दौरे के वक्त प्रमुख सुरक्षा गार्ड द्वारा अपने रुमाल से उनके जूते साफ करने की घटना को शर्मनाक तथा सामंतवादी सोच की निशानी करार दिया है।
गिद्ध उवाच : कौन सी बड़ी बात है , क्या आज कल नेताओं और अधिकारी के मध्य आपसी सामंजस से थूका-चाटा वाला रिश्ता नहीं विकसित हो रहा है ? फिर तेल लगाने का सबको हक है , और सैंडिल पोंछना भी तो ड्‍यूटी का हिस्सा ही है।

बासी खबर : तिवारी को कराना होगा डीएनए टेस्ट ।
गिद्ध उवाच : बड़ी मुश्किल है , एक का दावा स्वीकार हो गया तो आगे ना जाने कितने और दावे खड़े हो जायेगे ?

बासी खबर : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर रविवार को लंदन में एक बैठक के दौरान जूता फेंका गया, लेकिन मीडिया की खबरों के अनुसार जूता उनसे दूर गिरा।
गिद्ध उवाच : अफ़सोस नामुराद निशानेबाजों के कारण मुसर्रफ़ साहेब उन महान हस्तियों में शामिल होने से बाल बाल चूक गए जिन्हें इतिहास जूता खाने के लिए याद करेगा ।

तो इसी के साथ अगली गिद्ध वाणी के प्रकाशन तक गिद्ध हस्त प्रणाम..

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

आओ चलें...

आओ चलें हम दूर कहीं , सागर के किसी किनारे पर ।
लहरों की छुवन महसूस करें , अपनी फैली बाँहों पर ।
मिलने दें अपने मन की , लहरों को सागर से हम ।
भर ले अपने दिल को , सागर के ज्वारों से हम ।
शायद सागर का खारा जल , फिर आँखों में आंसू भर दे ।
बलखाती लहरे सागर की , पत्थर दिल को पोरस कर दें ।

फिर शायद महसूस कर सकें , अपने अकेलेपन को हम ।
सीख सके उससे शायद , कुछ थोड़ा संयम भी हम ।
शायद उसका विस्तार देख , दिल को बड़ा बना पायें ।
देख कर उसके तूफानों को , मन में जोश जगा पायें ।
अपनी खाली थाती में , कोई मोती उपजा पायें ।
भुलाकर अपने स्वार्थ सभी , निस्वार्थ भी थोड़ा हो पायें ।



© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

एक तथ्य..

किसी ने क्या खूब सच कहा है ...
"आप जिस कसौटी पर परखते हैं हमको ,
गर आपको परखें तो अंजाम क्या होगा ?"

हम इस संसार में , मानवीय रिश्तो के मायाजाल में , और शुद्ध व्यवसायिक उतार चढाव में जिन कसौटियों पर दूसरों को परखते हैं और उनके बारे में जितनी सरलता से कोई भी निष्कर्ष निकाल लेते हैं....

उतनी ही सहजता से हमने , आपने क्या कभी यह सोचने की जरुरत महसूस की कि अगर हमें भी कोई दूसरा अथवा स्वयं हमी अपने को उन्ही कसौटियों पर परखे तो वास्तव में क्या निष्कर्ष होगा ?

शायद वही जो प्राय: हम दूसरों के लिए निकलते हैं ,

और अगर यह मानने को हमारा मन तैयार नही हो रहा है तो इसका अर्थ शायद यह है कि हमारे अंतर्मन का अभिमान झुंकने  को तैयार नही हो रहा है ।

तो केवल यह मत कहें कि अगर उस जगह पर मै होता तो ऐसा नही करता ।

यह कहने के पहले आप स्वयं को उन्ही मान्यताओं , आकांक्षाओं , सम्बन्धों और परिस्थितियों के मध्य ईमानदारी से स्थापित करें और फिर तथस्त / निर्विकार भाव से किसी दृष्टा की  तरह से देखें और फिर कुछ कहें ।

आपका अपना

                       विवेक.....

 © सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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