हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

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गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

शक्ति संतुलन

गुरुदेव ने कहा था 
" आग को पानी का भय , सदा रहना चाहिए ।
यूँ धरा पर शक्ति संतुलन , सदा रहना चाहिए ।"
तो
बने ना कोई एकक्षत्र  , शासक कभी इस भूमि का ।
शक्तियां करती निरंकुश , ध्वंस होता राज्य का ।
आज है जो नम्र दिखता , कल निरंकुश हो सकता है ।
इस धरा पर जल बिना , जग आग में जल सकता है ।
तो अगर सुख चाहिए , शक्ति सदा बिखराइये ।
यूँ जगत में सभी को , संतुष्ट करते जाइये ।
आग को पानी का भय , बना रहना चाहिए ।
शांति का ये मूलमंत्र , सदा याद रहना चाहिए ।

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

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आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

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