रात का सन्नाटा ख़ामोशी से , जब चारो तरफ पसरता है ।
बस्तियों को सुनसान कर , वो जंगलो को आबाद है ।
भेड़ बकरियों की खोज में , भेड़ियों का दिल मचलता है ।
उनके पीछे पीछे ही कहीं , गीधड़ो का झुण्ड भी चलता है ।
पेट भले ही भर जाये , मन नहीं कभी भी भरता है ।
इन्सान के अन्दर छुपा , शैतान कभी नही मरता है ।
रात के सन्नाटे का , यह फायदा भी होता है ।सफेद्पोसो के सब , करतूतों को छुपा लेता है ।जुल्म और बेईमानी की , रंगत को बढ़ा देता है ।कमजोर और कायरो को , बहादुर मर्द बना देता है ।बेबस लाचार शिकारों को , दुल्हन सा सजा देता है ।मन में छुपी कुंठाओ को , भरपूर ये मजा देता है ।
रात के सन्नाटे का , अपना ही नशा होता है ।भीड़ के सूरमाओ की , रोंगटों को कंपा देता है ।अपनी ही परछाहियों से , बहुतो को डरा देता है ।भेड़ियों और गीधडों के , झुण्ड ये बना देता है ।बदला लेने वालो को , मौका ये दिला देता है ।जुल्म करने वालों के , हस्तियों को मिटा देता है ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
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