हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

रविवार, 14 अप्रैल 2013

चलते पाँव थके...

अब चलते चलते पाँव थके , तलुओ में पड़  गए छाले है ।
हम इतनी दूर निकल आये , अब नहीं पास घर वाले है ।
सोंचा था यूँ चलते चलते , पहचान स्वयं को जायेंगे ।
चाह रहा क्या मन बौरा , यह जान स्वयं हम जायेंगे ।
पर व्यर्थ हुआ आयोजन सब , मन अब भी लगता अंजाना है ।
यह जन्म गँवाकर भी देखो , ना स्वयं को अब तक पहचाना है।

हाँ ठीक कहा था तुमने 'अनंत' ....

सागर में ऊपर ऊपर , कब मोती किसी ने है पाया ।
शीश गँवाए भला कहाँ , ईश्वर में है कोई समाया ।
मन का क्या ? मन बौरा , कुछ दिल की भी तुम सुन लो ।
मत अपनी ही तुम करो सदा , कुछ औरो की भी सुन लो ।
आ लौट चले हम फिर वापस , घर अपने ओ परदेशी ।
कब तक यूँ ही भटकोगे , अब तो बन जाओ स्वदेशी ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

कोई टिप्पणी नहीं:

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


क्रिएटिव कामन लाइसेंस
अनंत अपार असीम आकाश by विवेक मिश्र 'अनंत' is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 3.0 Unported License.
Based on a work at vivekmishra001.blogspot.com.
Permissions beyond the scope of this license may be available at http://vivekmishra001.blogspot.com.
Protected by Copyscape Duplicate Content Finder
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...