हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

ओशो...

"शायद मुझे अब तक सबसे अधिक गलत समझा गया है,
लेकिन इसका मुझपर कोई असर नहीं।
कारण केवल इतना  है कि
सही समझे जाने की कोई जिज्ञासा नहीं।
यदि वे सही नहीं समझते तो
यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है
यदि वे गलत समझते हैं तो
यह उनकी समस्या है, उनका दुख है।
मैं अपनी नींद नहीं खराब करूंगा
यदि लाखों लोग मुझे गलत समझ रहे हैं।"

ओशो

1 टिप्पणी:

nilesh mathur ने कहा…

सत्य वचन!

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


क्रिएटिव कामन लाइसेंस
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