हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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गुरुवार, 31 जुलाई 2014

तुम्हे शौख होगा...

तुम्हे शौख होगा चेहरे पर मुखौटे पहनने का,
हम अपने चहरे पर कोई नकाब नहीं रखते।

तुम्हे शौख होगा बातों को घुमाकर कहने का,
हम अपनी जबान में झूंठी मिठास नहीं रखते।

तुम्हे शौख होगा झूंठ को सच सच को झूंठ कहने का,
हम अपने जानिब झूंठी किस्सागोई का हुनर नहीं रखते।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

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