हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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शनिवार, 13 अगस्त 2011

नयी रीति नीति की बाते..

मुझे मिला था एक ज्योंतिषी  , 
जिसने भविष्य बताया मेरा ।
बोला जातक लिखा भाग्य में  ,
जल के प्राणी से अहित है तेरा ।
यूँ जल में रहते प्राणी बहुत ,  
मगर मगर सभी पर भारी है ।
तेरी किस्मत में शत्रु कई हैं , 
जो मगर के जैसे व्यवहारी है ।

तो बच के रहना जलाशय से , 
न अन्दर जाना उसके तुम ।
अगर कभी हो जाना जरूरी ,
मन में बैर न लाना तुम ।
दूर ही रहना सदा मगर से ,
ना उससे बैर निभाना तुम ।
कर सको अगर तो मगर से ,
सदा मित्रता निभाना तुम ।

मैंने कहा सुनो ऐ पंडित ,
रीत कहे तुम बहुत पुरानी ।
आवो तुम्हे बताता हूँ अब ,
नीति जो मैंने है अजमानी ।
प्रीति मुझे दिलवालो से है ,
नफ़रत दिल के कालो से है।
मगर भी उनमे ही आता है ,
मुझको कभी नहीं भाता है ।

आदत मगर की बहुत बुरी है ,
रिश्तो की उसे कहाँ पड़ी है ?
किया मित्रता अगर मगर से ,
मारे जाओगे तुम गफलत से ।
भूँख लगेगी जब उसे जोर से ,
खा जायेगा वो तुम्हे प्यार से ।
तुमको खाकर जब सुस्तायेगा ,
तेरी याद में झूंठे आंसू बहायेगा ।

तुम दूर ही रहना पानी से ,
हो डरते अगर दुश्मनी से ।
हो अगर जरुरी जल में जाना ,
तो मगर से सदा बैर निभाना ।
बैर करोगे जब तुम उससे ,
फिर सदा सचेत रहोगे उससे ।
फिर एक दिन वो भी आएगा ,
तेरे कारण परलोक वो पायेगा ।

जब कन्धा उसे लगाने जाना ,
चीख-चीख कर उसे मित्र बताना ।
हालाँकि है यह नीति उलट ,
पर देगी यही हालात पलट ।
कांटे का जबाब यह छूरी है ,
बल्लम का जबाब भाला है ।
कौटिल्य सानिध्य में रहकर ,
हाँ मैंने यह रीति निकाला है ।

 सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

Deepak Saini ने कहा…

अच्छी पोस्ट
रक्षा बंधन पर्व की बधाइयाँ

govind pandey ने कहा…

beautiful and interesting

बेनामी ने कहा…

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आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

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आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

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