सिलसिले जो आपने , शुरू बेबफाई के किये ।
बनकर वो काँटे नुकीले , राहों में मुझको मिले ।
आपने सोंचा भी है , हम क्यों वफ़ा करते रहे ?
यार भले नाखुश रहे , याराना तो चलता रहे ।
आप भले नाराज रहे , दूर भले ही आज रहे ।
हमको वचन निभाना है , संग चलते जाना है।
बनकर वो काँटे नुकीले , राहों में मुझको मिले ।
आपने सोंचा भी है , हम क्यों वफ़ा करते रहे ?
यार भले नाखुश रहे , याराना तो चलता रहे ।
आप भले नाराज रहे , दूर भले ही आज रहे ।
हमको वचन निभाना है , संग चलते जाना है।
यदि समझ सको बात मेरी , फिर शुरु करो आज अभी ।
दिल में चुभोये तीरों पर , तुम वापस ले लो आज अभी ।
वो बदकिस्मत होते है , जो अपनो की वफ़ा ना पाते है ।
लेकिन उनसे ज्यादा वो , जो साथ निभा नहीं पाते है ।
मत बाँधो दिल के भावो को , अविरल इनको बहने दो ।
भले काँटो से नाराज रहो , पर फूलो को तो मिलने दो ।
तुम आज भले ना साथ चलो , रूठे ही मुझसे आज रहो ।
मत छोड़ो कुछ मुलाकातों को , रिस्तो को तो चलने दो ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
किसी भी रिश्ते को दिल से निभाने के लिए मन में बस यही भाव होने चाहिए सार्थक रचना...
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