हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://www.vmanant.com/?m=1

मंगलवार, 10 मई 2011

तब तक..

रेत के इन टीलों को , हमें स्थायी बनाये रखना है ।
मिटा ना दे हवा इन्हें , ये व्यवस्था बनाये रखना है ।
रास्ते नित नूतन बनाकर , प्रगति बनाये रखना है ।
बचाकर पहचान अपनी , अस्तित्व बनाये रखना है ।
अपने कदमों के निशां को , सुरक्षित बनाये रखना है ।
मंजिलो पर विजय पताका , लहराती बनाये रखना है ।

हालाँकि आसान नहीं , रेत पर यूँ खेलना ।
भुलाकर अपने दर्द को , औरों को सहेजना ।
बंजर मरुभूमि पर , नयी कोपलों को उगाना ।
आँसुवो को जमा कर , नखलिस्तान नया बनाना ।
लेकिन जब तक काल-चक्र , परिवर्तन नहीं लाता ।
तब तक ये मरुभूमि ही , अपनी है भाग्य विधाता ।

 © सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

कोई टिप्पणी नहीं:

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


क्रिएटिव कामन लाइसेंस
अनंत अपार असीम आकाश by विवेक मिश्र 'अनंत' is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 3.0 Unported License.
Based on a work at vivekmishra001.blogspot.com.
Permissions beyond the scope of this license may be available at http://vivekmishra001.blogspot.com.
Protected by Copyscape Duplicate Content Finder
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...