चंद लम्हे प्यार के , जी कर देख ले यहाँ मुसाफिर ।
कब रैन-बसेरा खाली कर , जाना पड़े तुझे मुसाफिर ।
जो आया है वो जायेगा , कोई अमर नहीं हो पायेगा ।
बस शेष रहेगी यादें कुछ , बाकी सब मिट जायेगा ।
पल दो पल का जीवन है , कुछ पल ही रह पायेगा ।
बिना प्यार के लम्हों के , ये जीवंत कहाँ हो पायेगा ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
3 टिप्पणियां:
सत्य कथन....
जीवन तो क्षणभंगुर है ......मगर .....प्यार अमर !
सच ही तो है जो आएगा वो जाएगा पर अपने का जाना बहुत दुख देता है...
यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
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