किसी ने सच ही कहा है .........
अगर है हसरत मंजिल की , खोज है शौख तेरी तो ।
जिधर चाहो उधर जाओ , अंत में फिर मुझको पाओ।
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और मेरे अपने शब्दों में ..
"राह अलग हो सकती है...
काल अलग हो सकता है...
शब्द अलग हो सकते हैं...
भाषा का अंतर हो सकता है...
मान अलग हो सकते हैं...
परिमाण अलग हो सकते है...
विश्वास अगर सच्चा है तो...
सत्य एक ही होता है............"
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
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