हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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बुधवार, 23 मार्च 2011

चिरंतर..

जाने कब मै प्रश्नों का ,
पाउँगा कोई उत्तर ?
जाने कब मेरे प्रश्नों के ,
लायक होंगे कुछ उत्तर ??
=====================

वो शायद एक भूँख  है ,
जो अक्सर सर उठा लेती है ।
या फिर वो अतृप्त प्यास है ,
जो पूरी तरह बुझती नहीं है ।

यूं तो सब कुछ ठीक ही ,
महसूस होता है सदा ।
पर कहीं किसी कोने से ,
डर लगता मुझको सदा ।

न जाने कब किस मोड़ पर ,
वह फिर उठा ले अपना सर ।
फिर उससे निपटने के लिए ,
मुझको भटकना पड़े किधर ।

साथ ही कुछ सोच कर ,
मै डरता हूँ उनके लिए ।
वो जिन्हें देना है पड़ता  ,
निज बलिदान मेरे लिए ।

 मेरा क्या मेरे लिए ये ,
बन गयी अब आदत है ।
सोंचता हूँ अक्सर अकेला ,
क्या यह मेरी हवस है ?

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

चिन्तन मुद्रा..

Deepak Saini ने कहा…

दिलचस्प रचना

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

बढ़िया रचना है

पर ये चिरंतर क्या होता है?

हरीश सिंह ने कहा…

आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , हिंदी ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सार्थक है. निश्चित रूप से आप हिंदी लेखन को नया आयाम देंगे.
हिंदी ब्लॉग लेखको को संगठित करने व हिंदी को बढ़ावा देने के लिए "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की stha आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच

Dinesh pareek ने कहा…

होली की बहुत बहुत शुभकामनाये आपका ब्लॉग बहुत ही सुन्दर है उतने ही सुन्दर आपके विचार है जो सोचने पर मजबूर करदेते है
कभी मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये में निचे अपने लिंक दे रहा हु
धन्यवाद्

http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://dineshpareek19.blogspot.com/
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आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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