मान्यता है और मीडिया के लोग कहते हैं ये तस्वीर राम भक्त हनुमान जी के पैरों की है श्रीलंका में....
पर मै इससे कदापि सहमत नहीं कि ये तस्वीर राम भक्त हनुमान जी के पैर हैं।
अगर ये निशान हनुमान जी के पैरों का होता तो अकेला नहीं होता..वरन दूसरे पैर का निशान या और भी पदचिन्ह होते वहां पर क्योंकि हनुमान जी केवल एक पैर पर तो खड़े नहीं रहे होंगे लंका में।
निश्चित तौर पर यह बाली पुत्र और वानर सेना के सेनापति महाबली अंगद के पैर के निशान हैं।
और ये तब के हैं जब वो भगवान् राम के दूत बनकर रावण की सभा में गए थे और रावण के ललकारने के जबाब में अपना "एक पैर जमा कर" वहीँ राजसभा में खड़े हो गए थे और समस्त राक्षस जाति को ललकार कर बोले थे कि यदि कोई मेरा एक पैर भी हिला दे तो भगवान् राम अपनी हार बिना युद्ध के मान लेंगे...
और कहते हैं कि महाबली अंगद ने अपना पैर भूमि में इतना तगड़ा जमाया था कि दशानन रावण के दरबार का कोई भी बलशाली राक्षस और यहाँ तक उसका इंद्र तक को बंदी बना लेने वाला पुत्र इन्द्रजीत भी अंगद के एक पैर को हिला नहीं पाया था।
तो यह सत प्रतिशत निश्चित तौर पर अगर है किसी के पैरों का निशान तो महाबली बालि पुत्र अंगद का ही।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें